आनन्द मार्ग स़गठन पर एक अध्ययन पत्र
आनन्द मार्ग संगठन का अध्ययन पत्र तैयार करना आवश्यक था। अत: मैंने अपने अल्प अध्ययन से एक अध्ययन पत्र तैयार किया है, जो पाठकों की जानकारी, अवलोकन एवं मूल्यांकन के लिए प्रेषित है।
(A) आनन्द मार्गी ➡आनन्द मार्ग श्री श्री आनन्दमूर्ति जी एवं आनन्दमार्ग के अनुयायियों का संगठन है। यह निम्न प्रकार संगठित हुआ है:
(1) मार्गी ➡ आनन्द मार्ग के आदर्श को अंगीकार कर उस पर चलने के लिए आत्मार्पित साधक को मार्गी कहा जाता है। यह आनन्द मार्ग की पहचान है। इन्हें देखकर दुनिया श्री श्री आनन्दमूर्ति जी को जानती है। इसलिए श्री श्री आनन्दमूर्ति जी ने इन्हें व्यावहारिक बनने का आदेश एवं निर्देश दिया है।
(2) आचार्य ➡ आनन्द मार्ग के आदर्श को अपने आचरण में ढालकर अन्य को आनन्द मार्ग के पथ पर ले जाने की जिम्मेदारी को निर्वहन करने वाले को आचार्य कहा गया है। यह दूसरों को साधना, यम, नियम,आसान, प्राणायाम इत्यादि सिखाते तथा भौतिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक जीवन जीने का मार्ग दर्शन करते हैं। इनके आचरण की पवित्रता, शुद्धता एवं व्यावहारिकता पर अत्यधिक ध्यान रखना होता है।
(3) तात्विक ➡ आनन्द मार्ग दर्शन को जानकर, समझकर एवं मंथनकर दूसरों को समझाने एवं उनकी जिज्ञासा को शांत करने की क्षमता रखने वाले को तात्विक कहा गया है। तात्विक शब्द का अर्थ है, तत्व को जानने वाला तथा उससे औरों को परिचित करवाने वाला व्यष्टि । यह आनन्द मार्ग दर्शन को पढ़ाते तथा समझाते हैं।
(4) पुरोधा ➡ आनन्द मार्ग आदर्श को गहराई व बारिकी से जानने एवं उनके संरक्षण एवं संवर्धन की जिम्मेदारी को निर्वहन करने वाले को पुरोधा कहा गया है। पुरोधा एक प्रकार के विशेषज्ञ एवं विश्लेषक होते हैं। उन्हें सहज एवं विशेष योग सिखाने की जिम्मेदारी दी गई है तथा मार्गी, आचार्य एवं तात्विकों के जीवन में तथा कार्यशैली में आने वाली समस्यावों का समाधान करने के दायित्व का निर्वहन करना होता है।
(5) श्री श्री आनन्दमूर्ति जी ➡ आनन्द मार्ग आदर्श के प्रणेता, प्रवर्तक, प्रवक्ता एवं मार्ग गुरु श्री श्री आनन्दमूर्ति जी नाम से जाने गए हैं। इनके बारे में गिरा अनयन, नयन बिन बानी ही लिखा जा सकता है
(B) आनन्द मार्ग के कार्यकर्ता ➡ आनन्द मार्ग के आदर्श को मूर्त रुप देने में संलग्न व्यष्टि आनन्द मार्ग का कार्यकर्ता कहा गया है। यह स्वेच्छा से अपना जीवन आनन्द मार्ग के आदर्श को प्रतिफलित करने की साधना में रत है। इनके योगदान एवं भूमिका के आधार पर निम्न वर्ग है:
(1) गृहस्थ ➡ आनन्द मार्ग के आदर्श को धरातल पर स्थापित करने की प्रथम जिम्मेदारी को धारण करने वाला कार्यकर्ता गृहस्थ है। श्री श्री आनन्दमूर्ति जी ने गृहस्थ को सन्यासी से प्रथम स्थान दिया है। यह कार्यकर्ता स्वयं की निजी जिम्मेदारी को निभाता है, साथ में समाज की जिम्मेदारी भी अपने कंधों पर लेकर चलता है। यह आनन्द मार्ग के शेष कार्यकर्ताओं का अभिभावक है।
(2) एल. एफ. टी.➡ आनन्द मार्ग के यह कार्यकर्ता स्थानीय जगह पर रहकर पूर्ण समय आनन्द मार्ग के आदर्श के लिए देता है। यह स्थानीय परिवेश के जानकर होते है तथा समाज के अति निकट है। इसलिए इनमें कार्य करने की प्रचुर संभावना निहित है। एल.एफ.टी. का अर्थ स्थानीय पूर्णकालिक कार्यकर्ता (local full timer) है।
(3) डब्ल्यू.टी. ➡ आनन्द मार्ग को जीवन समर्पित करने वाले कार्यकर्ता डब्ल्यू. टी . अर्थात पूर्णकालिक कार्यकर्ता(Whole timer) कहलाते है। उन्हें सन्यासी भी कहा जाता है। यह ब्रह्मचारी एवं अवधूत दो रुप में है।
(C) आनन्द मार्ग की विचारधारा ➡
आनन्द मार्ग संगठन का तीसरा रुप एक समग्र विचारधारा है। इसके सदस्यों को जीवन के सभी क्षेत्रों में विचार को अन्यत्र से लाने की आवश्यकता नहीं है।
(1) आनन्द मार्ग दर्शन ➡ आनन्द मार्ग ने मनुष्य एवं मानव समाज के लिए एक नूतन दर्शन प्रतिपादित किया है। यहां वैज्ञानिक ढंग से ब्रह्म तत्व, सृष्टि विज्ञान, आध्यात्म, योग, तंत्र, भक्ति, ज्ञान, कर्म, धर्म, दर्शन एवं मनोविज्ञान को समझाया गया है। आनन्द मार्ग दर्शन ब्रह्म सत्य तथा जगत को आपेक्षिक सत्य बताकर जागतिक एवं ब्रह्मज्ञान प्रदान किया है।
(2) आनन्द मार्ग आदर्श ➡ आनन्द मार्ग विचारधारा सैद्धांतिक नहीं व्यावहारिक है। इसको लेकर आनन्द मार्ग का आदर्श तैयार हुआ है। वैश्विक दृष्टिकोण एवं एक अखंड अविभाज्य मानव की अभिधारणा विकसित की गई है। आनन्द मार्ग के आदर्श पर निर्मित मानव समाज सभी प्रकार की कुरीतियों से दूर सद् व्यवस्था का नाम है। आनन्द मार्ग के आदर्श में उन्नत दर्शन, विश्व प्रेम एवं अत्युग्र एकता का समावेश है। आनन्द मार्ग की सम्पद् पताका, प्रतीक एवं मार्ग गुरु की प्रतिकृति की रक्षा का आदेश प्राप्त है। आनन्द मार्ग आदर्श साधक को साधना, सेवा एवं त्याग की राह पर ले चलता है।
(3) आनन्द मार्ग आंदोलन ➡ आनन्द मार्ग एक अखंड अविभाज्य मानव समाज की स्थापना करने का समग्र आंदोलन है जिसमें साधक का लक्ष्य ब्रह्मोपल्बधि एवं जगत सेवा है। यह खंड में बिखरी मानवता को एकता के सूत्र में पिरोकर विश्व परिवार की रचना करता है।
(4) नव्य मानवतावाद ➡ मनुष्य की बुद्धि को मुक्त करने लिए नव्य मानवतावादी चिन्तन देता है। यह भौम भावप्रवणता, सामाजिक भावप्रवणता तथा तथाकथित मानवता से मनुष्य को मुक्त सम्पूर्ण सृष्टि के अणु परमाणु, जैव, अजैव तथा पर्यावरण से सच्चा प्रेम करने की व्यवस्था करता है।
(5) अणु जीवत( माइक्रोवाइटा) ➡ यह चर व अचर जगत में चलायमान गतिविधियों को समझने का सूक्ष्म विज्ञान है। यह मनुष्य की दृष्टि, सोच एवं चिंतन से उपर भाव जगत की हलचल की समझ को विकसित करता है। युगों से मनुष्य भूत- प्रेत, देव -देवियों तथा अलौकिक शक्तियों के रहस्य की पहेली को सुलझाने की साधना की परिपूर्णता है।
(6) प्रउत ➡ समाज की जागतिक समस्या के निदान के लिए प्रउत आया है। यह व्यष्टि एवं समष्टि में पारिवारिक स्नेह के वातावरण की रचना करता है। जहाँ एक सबके लिए तथा सब एक लिए कार्य करते है। इसका पुरा नाम प्रगतिशील उपयोग तत्व है।
(D) आनन्द मार्ग संस्थान ➡ आनन्द मार्ग के आदर्श, दर्शन एवं विचारधारा को मूर्त रुप देने के लिए संस्थान अभिप्रकाश में आए हैं।
(1) आनन्द मार्ग प्रचारक संघ ➡ आनन्द मार्ग का धरती पर यथार्थ रुप में अवतरण के लिए आनन्द मार्ग प्रचारक संघ नामक संस्था अस्तित्व में आई। यह संस्था ERAWS(EDUCATION RELIEF AND WELFARE SECTION), धर्म प्रचार, मास्टर युनिट, ईसबुम, नव्य मानवतावाद, मोइक्रोवाइटा, पब्लिकेशन, प्लांट , इत्यादि 34 विभागों के माध्यम से जन सेवा का हस्ताक्षर करता है।
(2) सेवा धर्म मिशन ➡ वसुंधरा पर भक्ति की भाव धारा प्रवाह एवं आध्यात्मिक जागरण के निमित्त हरि परिमंडल गोष्ठी, पी एम एस ए व पी एम के द्वारा कार्य करता है।
(3) प्राउटिस्ट यूनिवर्सल ➡ प्रउत की स्थापना एवं प्रचार के लिए समाज आंदोलन एवं पंच फैडरेशन के माध्यम से कार्य करता है।
(4) वी एस एस ➡ साहसिक भाव के जागरण एवं रक्षात्मक कार्य के आध्यात्मिक साहसिक खेलकूद क्लब (एस ए एस सी) व वाहनी के माध्यम से कार्य करता है।
(5) सेवा दल ➡ सेवा एवं सहयोग के लिए सभी विभागों में सेवा दल कार्य करता है।
(6) डब्ल्यू डब्ल्यू डी ➡ यह आनन्द मार्ग का महिला विभाग है। सभी विभागों में पुरुषों के समान कार्य करता है।
(E) आनन्द मार्ग का संरचनात्मक स्वरूप
➡ आनन्द मार्ग की संरचना को एक पिरामिडिय स्वरूप है। आनन्द मार्ग के सर्वोच्च पदासीन पुरोधा प्रमुख के नाम जाना जाता है। उनके सहयोग के लिए तीन सदस्य पुरोधा पर्षद कार्य करती है। उनके अधिक जनरल सचिव के नेतृत्व में केंद्रीय समिति होती है। इसके सभी विभागों के ग्लोबल सचिव तथा ग्लोबल से लेकर यूनिट स्तर तक संरचना है। यह ग्लोबल, सेक्टर, रिजनल, डाइस, डिटस,ब्लॉक, पंचायत, ग्राम एवं यूनिट स्तर की नौ स्तरीय व्यवस्था है। अन्यन सहयोगी संस्थान के लिए भी इसीप्रकार का नौ या दस स्तर का संगठनात्मक स्वरूप है।
गृहस्थ के लिए व्यवस्था ➡ आनन्द मार्ग संगठन गृहस्थ एवं सन्यासी में भेद नहीं करता है। आनन्द मार्ग के शीर्ष पद तक गृहस्थ पहुँच सके उसकी माकूल व्यवस्था उपलब्ध है। यूनिट से ग्लोबल स्तर संस्थान के सलाह एवं संचालन में सहयोग के लिए ACB ( Advisory Committee & Working Board) की व्यवस्था है। तत्पश्चात भुक्ति समिति, उप भुक्ति समिति, पंचायत समिति, ग्राम प्रमुख, ग्राम समिति एवं यूनिट सचिव तक की व्यवस्था है।
(F) आनन्द मार्ग संगठन का विधान ➡ आनन्द मार्ग संगठन के लिए चर्याचर्य एवं प्रोसिडिंग आर्डर विधान के रूप में क्रियाशील है।
🙏श्री आनन्द किरण 🙏
(नोट -आनन्द मार्ग संगठन पर अध्ययन पत्र पूर्णतया निजी अध्ययन पत्र है। यह किसी भी प्रकार के वाद प्रतिवाद के लिए नहीं है)
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