समय नहीं, सोच को बदलिए      (Change your thinking not time)

समय नहीं, सोच को बदलिए। 
मन है समुंद्र, इसमें मंथन कीजिए।। 
इससे निकले अमृत से, जीवन को भर दीजिए।
विष, महाकौल को समर्पित कर दीजिए।। 
समय नहीं, सोच को बदलिए। 
मन है समुंद्र, इसमें मंथन कीजिए।।

समय को सम विषम  के तराजू में मत तौलिए। 
विषम में भी सकारात्मक को बैठा दीजिए।। 
विषम में सम, सम में आनन्द को भर दीजिए। 
जीवन के हर पल में आनन्द में मिला दीजिए।। 
समय नहीं, सोच को बदलिए। 
मन है समुंद्र, इसमें मंथन कीजिए।।

किन्तु परन्तु नहीं, संकल्प लीजिए। 
संकल्प में उत्साह की ऊर्जा भर दीजिए।। 
अशुभ कुछ होता ही नहीं, ऐसा मन बना दीजिए। 
हर शुभ काम में , लग्न व परिश्रम भर दीजिए।। 
समय नहीं, सोच को बदलिए। 
मन है समुंद्र, इसमें मंथन कीजिए।।

आशंकाओं के डर को सदैव के लिए मिटा दीजिए। 
यदि अनिष्ट कुछ है तो दृढ़ विश्वास से हरा दीजिये।।
कोई अमंगल लगे तो उसमें मंगल के स्वर भर दीजिए। 
हे कर्मयोगी! कर्म के बल पर भाग्यरेखा को बदल दीजिए।। 
समय नहीं, सोच को बदलिए। 
मन है समुंद्र, इसमें मंथन कीजिए।।

कविराज - आनन्द किरण
वहाँ नहीं यहाँ मिलेंगे - सरदार पटेल
        सरदार वल्लभ भाई पटेल
सरदार पटेल नहीं मिलेंगे, स्टेच्यु वाली प्रतिमा में। 
सरदार पटेल मिलेंगे, सरदार सरोवर की बहती जलधारा में।। 

सरदार पटेल नहीं मिलेंगे, हिन्दू मुस्लिम के द्वंद में। 
सरदार पटेल मिलेंगे, सामाजिक सद्भावना के प्रसंग में।। 

सरदार पटेल नहीं मिलेंगे, निजीकरण की राह में। 
सरदार पटेल मिलेंगे, सहकारिता चाह में।। 

सरदार पटेल नहीं मिलेंगे, विदेशी सैरचौपाटी में। 
सरदार पटेल मिलेंगे, स्वदेश की माटी में।। 

सरदार पटेल नहीं मिलेंगे, जोड़तोड़ की राजनीति में। 
सरदार पटेल मिलेंगे, समाज की प्रगति वाली नीति में।। 

सरदार पटेल नहीं मिलेंगे, वेशभूषा की स्टाइल में। 
सरदार पटेल मिलेंगे, सादगी की प्रोफाइल में।। 

सरदार पटेल नहीं मिलेंगे, निज गुमान के  धधकते अंगारों में। 
सरदार पटेल मिलेंगे, विनम्रता की शीतल धारों में।। 

सरदार पटेल नहीं मिलेंगे, नफरती भाषाओं में। 
सरदार पटेल मिलेंगे, समरसता की आशाओं में।। 

सरदार पटेल नहीं मिलेंगे, गालीगलौज की शब्दावली में। 
सरदार पटेल मिलेंगे, प्रेम-अपनत्व की शब्दमाला में।। 

सरदार पटेल नहीं मिलेंगे, संकीर्णता की गागर में। 
सरदार पटेल मिलेंगे, महानता के महासागर में।। 

सरदार पटेल नहीं मिलेंगे, गोडसे की गोली में। 
सरदार पटेल मिलेंगे, गांधीजी वाली बोली में।। 

सरदार पटेल नहीं मिलेंगे, खोटी टोली में।
सरदार पटेल मिलेंगे, नेहरू सुभाष की हमजोली में।।

सरदार पटेल नहीं मिलेंगे, समाज को बांटने वाली करतुतों में। 
सरदार पटेल मिलेंगे, मानव को मानव से जोड़ने वाले प्रयासों में।।

सरदार पटेल नहीं मिलेंगे, मारकाट की नीति में
सरदार पटेल सत्य व अहिंसा की रीति में।।
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कविराज श्री आनन्द किरण "देव"
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राजनीति और मैं

     


मैं राजनीति नहीं करता हूँ,
फिर भी
राजनीति मेरे से दूर नहीं जाती ,
बोलो यह रिश्ता क्या कहलाता है?

राजनीति मुझे रास नहीं आती,
मैं राजनीति का खास नहीं लगता,
फिर भी
राजनीति मुझे नहीं छोड़ती,
मै न चाहकर भी राजनीति को देखे बिना नहीं रह सकता,
बोलो यह रिश्ता क्या कहलाता है?

मैं राजनीति को  इतिहास पढ़ाता हूँ,
राजनीति मुझे इतिहास पढ़ना नहीं चाहती,
फिर भी
राजनीति मेरे ईर्दगिर्द घूमती,
मैं न चाहकर भी राजनीति को‌ घूर लेता हूँ,
बोलो यह रिश्ता क्या कहलाता है?

मुझे नैतिकता अच्छी लगती,
राजनीति नैतिकता को नहीं चाहती,
फिर भी
राजनीति मुझे खेल दिखाती,
मैं  भी राजनीति का खेल देख लेता हूँ,
बोलो यह रिश्ता क्या कहलाता है?

मुझे राजनीति सच्ची नहीं लगती, 
राजनीति मुझे कच्चा नहीं मानती,
फिर भी
राजनीति को मैं बुरा नहीं लगता,
मैं भी राजनीति से घृणा नहीं करता,
बोलो यह रिश्ता क्या कहलाता है?

मैंने राजनीति को कभी भी अपना नहीं माना,
राजनीति ने मुझे कभी भी पराया नहीं जाना,
फिर भी
मैं राजनीति की ओर देखना नहीं छोड़ा,
राजनीति ने मुझे दूर जाने नहीं दिया,
बोलो यह रिश्ता क्या कहलाता है?

मैं राजनीति नहीं करता हूँ,
फिर भी
राजनीति मेरे से दूर नहीं जाती ,
बोलो यह रिश्ता क्या कहलाता है?
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Karansinghshivtalv@gmail.com