-----------------------------------------------
-----------------------------------------------
25 नवंबर 2024 से 20 दिसम्बर 2024 तक 26 दिवसीय इस सत्र में लोकसभा की 20 एवं राज्य सभा की 19 बैठकों के साथ आयोजित हुई। हर वर्ष की भांति काम कम हंगामा अधिक के साथ भारतीय जनता के पसीने की गाढ़ी कमाई को राष्ट्रीय नेतृत्व के नाम पर चुना लगाते यह शीतकालीन सत्र भी समाप्त हो गया। इस सत्र एक खासियत यह रही "भारतीय संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा" पर लोकसभा में 13 , 14 दिसम्बर 2024 को 15 घंटा 43 मिनट की चर्चा हुई, जिसका जबाब माननीय प्रधानमंत्री जी दिया, जिसमें 62 सदस्यों ने भाग लिया। राज्य सभा में इसी विषय पर 17, 18 दिसम्बर 2024 को 17 घंटा 41 मिनट की चर्चा हुई, जिसमें 80 सदस्यों ने भाग लिया, जिसका जबाब देते हुए माननीय गृहमंत्री जी अम्बेडकर जी के साथ छेड़छाड़ कर भारतीय राजनीति में भूचाल लाया। जिसके लिए स्वयं गृहमंत्री जीको प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ी। प्रधानमंत्री जी को टिवट पर टिवट करने पड़े। इसी बीच उपराष्ट्रपति पर अविश्वास का नोटिस भी विपक्ष द्वारा दिया गया, वन नेशन, वन इलेक्शन भी संसदीय समिति के पास गया। यही सभी घटना क्रम के साथ राजनीति में लोकतंत्र चलता है।
आज हम संविधान पर विचार रखने के लिए आए। भारतीय संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा के प्रत्येक पड़ाव पर गौरव को परखने की आवश्यकता पर सभी विचार विमर्श आवश्यक है। 26 नवंबर 1949 को पहली बार भारतीय जनता के हाथ में संविधान दिया। हमारे संविधान को संविधान निर्माताओं द्वारा अच्छा से अच्छा बनाने का प्रयास किया गया। अब हम बिना किसी विलंब किये गौरवशाली राष्ट्र का गौरवशाली संविधान कैसे की ओर बढ़ते हैं।
(१)
गौरवशाली राष्ट्र के गौरवशाली संविधान के लिए समानता, स्वतंत्रता एवं बंधुत्व के नागरिकों को रोजगार की गारंटी देने वाला कार्य रोजगार का अधिकार मूल अधिकार के रूप में मिलना आवश्यक है। काम पाने का अधिकार सभी नागरिक का जन्म सिद्ध एवं नैसर्गिक अधिकार है। हमारे संविधान निर्माता यह भूल कैसे कर गए। यह तो समझ के परे लेकिन आज के राष्ट्र निर्माता सच्चे अर्थ में गौरवशाली राष्ट्र का गौरवशाली संविधान चाहिए तो शतप्रतिशत रोजगार की नीति को लागू करना आवश्यक है।
(२)
व्यक्ति की न्यूनतम आवश्यकता अन्न, वस्त्र, आवास, चिकित्सा एवं शिक्षा की गारंटी देने वाला कार्य क्रयशक्ति को मूल अधिकार के रूप देने से गरीब रुपी शत्रु का दमन किया जा सकता है। रोजगार का मूल अधिकार बेरोजगारी को भगाता है उसी प्रकार क्रयशक्ति का मूल अधिकार गरीब को मिटाता है।
(३)
जब तक रोजी रोटी के खातिर घरबार एवं परिजनों को छोड़कर देश देशाटन भटकना पड़े तब तक किसी भी राष्ट्र महान राष्ट्र नहीं कहा जा सकता है। अतः राष्ट्र हित के लिए समग्र राष्ट्र को समान आर्थिक समस्या, समान आर्थिक संभावना, नस्लीय समानता एवं भावनात्मक एकता के आधार पर सामाजिक आर्थिक इकाइयां बनाकर स्थानीय लोगों का एक परिवार सा समाज बनाना।
४
राष्ट्र विकास का वास्तविक पैमाना ब्लॉक लेवल प्लानिंग है। अत: संसद भवन पर राष्ट्रीय विकास पर निर्भर न करके विकास की गंगा गाँव से गाँव से निकले। इसलिए प्रखण्ड अथवा विकास खंड अथवा पंचायत स्तर पर विकास की प्लानिंग बने तथा वहाँ की प्रशासनिक शक्ति को उसे इंपलिमेंट करने पुरा अधिकार मिले।
५
राजनीति का विषय शक्तिशाली राष्ट्र का निर्माण करना तथा अर्थनीति का विषय समृद्ध, खुशहाल एवं सहभागिता मूल समाज का निर्माण करना है। अतः राजनीति एवं अर्थनीति को पृथक कर प्रथम को केन्द्रिकृत राजशक्ति एवं द्वितीय विकेन्द्रीकृत अर्थशक्ति के आधार पर संचालित किया जाए।
६
वह देश एवं संविधान कभी भी गौरवशाली नहीं हो सकता है, जहाँ शिक्षा एवं चिकित्सा राजनीति का अनुनय विनय करती मिल अथवा बिकाऊ वस्तु की तरह घूमती मिले। अतः शिक्षा एवं चिकित्सा को राजनैतिक एवं आर्थिक गतिविधियों के हस्तक्षेप से मुक्त स्वतंत्र शिक्षाविदों एवं चिकित्साचार्यों के हाथ में दी जाए। उनका समाज में आर्थिक एवं सामाजिक सम्मान मिलता रहे लेकिन कोई भी शिक्षक अथवा चिकित्सक व्यवसायी नहीं बने।
७
राष्ट्र की उद्योग नीति के अनुसार अपने उत्पाद का भावतय करने का अधिकार तथा उद्योग के जरुरी सुविधा प्राप्त करने का अधिकार है। कृषि को यह अधिकार क्यों नहीं? अतः कृषि एक प्राथमिक क्रिया ही नहीं उद्योग भी है। जहाँ सभी प्रकार खाद्यान्न एवं व्यापारिक फसलों का उत्पादन होता है। अतः कृषक को अपने उत्पाद का भावतय करने के साथ जरूरी कृषिगत सुविधा मिलनी ही चाहिए।
८.
जीवन की दृढ़त्तम भित्ति ब्रह्म भित्ति है, उसी प्रकार समाज की भित्ति शूद्र है। ठीक उसी प्रकार अर्थव्यवस्था की भित्ति श्रमिक है। अर्थव्यवस्था की सभी योजना श्रमिक के कल्याण के मध्य रखकर बनानी चाहिए। जिस समाज श्रमिक के हितों की अनदेखी की जाती है, वह समाज कभी भी गौरवशाली नहीं होता है। अतः अर्थव्यवस्था की रीढ़ श्रमिक का सबल बनाना आवश्यक है।
९.
गौरवशाली राष्ट्र का गौरवशाली संविधान तब बनेगा, जब आर्थिक गतिविधियों में न साम्यवाद हो तथा न ही पूँजीवाद हो। छोटी आर्थिक क्रियाएँ निजी हाथों से कृषि, वृहद एवं मध्यम आर्थिक गतिविधियों का संचालन सहकारिता के आदर्श पर हो तथा की उद्योग एवं राष्ट्रीय महत्व के उद्योग का संचालन राज्य एवं राष्ट्र सरकार के द्वारा हो।
१०.
मनुष्य का आर्थिकता नहीं आध्यात्मिकता प्राण धर्म है। इसलिए एक आदर्श समाज की नींव आध्यात्मिक नैतिकवान नागरिक पर निर्भर है। अतः इसको बढ़ाने का सुअवसर मिले।
११
जातिभेद, साम्प्रदायिकता, क्षेत्रियता एवं जातियता किसी भी समाज का आधार नहीं हो सकता है। अतः राष्ट्र को नव्य मानवतावाद पर आधारित एक अखंड एवं अविभाज्य मानव समाज का निर्माण करें।
१२.
विश्वबंधुत्व आज के गौरवशाली राष्ट्र की पहचान है। अतः गौरवशाली संविधान में एक नीति होनी चाहिए।
English
Winter session of Parliament ends without giving glorious nation
---------------------------------------
---------------------------------------
The 26-day session will be held from 25 November 2024 to 20 December 2024 with 20 meetings of the Lok Sabha and 19 meetings of the Rajya Sabha. Like every year, the winter session ended with less work, more fuss, and the hard earned money of the Indian people in the name of national leadership. This session was a special feature of the "75 years of glorious journey of the Indian Constitution" in the Lok Sabha on 13, 14 December 2024 for 15 hours 43 minutes, which was answered by Hon'ble Prime Minister, in which 62 members participated. The same issue was discussed in the Rajya Sabha on 17, 18 December 2024 for 17 hours and 41 minutes, in which 80 members participated, in response to which Hon'ble Home Minister Ambedkar was tampered with and brought earthquake in Indian politics. For which the Home Minister himself had to hold a press conference. The Prime Minister had to tweet after tweet. Meanwhile, a notice of no confidence in the Vice President was also given by the Opposition, One Nation, One Election also went to the Parliamentary Committee. Democracy in politics goes with all these events.
Today we came to consider the Constitution. All discussions on the need to test pride at every stage of the glorious journey of 75 years of the Indian Constitution are necessary. On 26 November 1949, the Constitution was handed over to the Indian people for the first time. Our Constitution was tried to be made better by the Constitution makers. Now let us move towards the glorious constitution of the glorious nation without any delay.
(1)
Employment should be received as a Fundamental Rights
The right to employment, which guarantees employment to the citizens of equality, liberty and fraternity, is essential for the glorious constitution of the glorious nation. The right to work is a birthright and natural right of all citizens. How could our constitution makers forget this. It is beyond comprehension, but if today's nation builder wants a glorious constitution of a glorious nation in the true sense, it is necessary to implement the policy of 100% employment.
(2)
Get the Fundamental Rights of purchasing power
The enemy of the poor can be suppressed by giving the basic right to work purchasing power, which guarantees the minimum needs of the individual, food, clothing, housing, medical treatment and education. The basic right to employment drives away unemployment, just as the basic right to purchasing power eradicates the poor.
(3)
Develop the nation as a whole by building socio-economic units
No nation can be called a great nation unless it has to leave its home and relatives and wander around the country for a living. Therefore, for the interest of the nation, to create a family-like society of local people by creating socio-economic units on the basis of similar economic problems, equal economic potential, racial equality and emotional unity.
4
Establishing the Basic Formula of Development - Block Level Planning
The real scale of nation development is block level planning. Therefore, the Ganga of development should flow from village to village instead of depending on national development at Parliament House. Therefore, development planning should be done at the block or development block or panchayat samiti level and the administrative power there should be given full authority to implement it.
5
Separation of Politics and Economics
The theme of politics is to build a powerful nation and the theme of economics is to build a prosperous, happy and participatory society. Therefore, politics and economics should be separated and the former should be operated on the basis of centralized monarchy and the latter on the basis of decentralized economic power.
6
Education and medicine should be freed from politics and commercialization
A country and a constitution can never be glorious where the persuasion of education and medical politics is found begging or wandering like a commodity for sale. Therefore, education and medicine should be given to independent academics and medical practitioners free from interference of political and economic activities. He was given economic and social respect in the society but no teacher or doctor became a professional.
7
Agriculture should be given the status of industry and the standard of living of farmers should be improved
They have the right to manufacture their products in accordance with the industrial policy of the nation and to obtain the necessary facilities of industry. Why not agriculture this right? Therefore, agriculture is not only a primary activity but also an industry. Where all types of food grains and commercial crops are produced. Therefore, farmers should get necessary agricultural facilities along with making their products viable.
8.
Workers should be placed at the backbone of the economy.
The strongest wall of life is Brahma, just as the wall of society is Shudra. In the same way, the wall of the economy is the worker. All plans of the economy should be made with the welfare of the worker at the centre. A society in which the interests of the worker are ignored is never a glorious society. It is therefore necessary to strengthen the backbone of the economy, the workers.
9.
Cooperation in economic activities should be promoted
The glorious constitution of a glorious nation will be built when economic activity There is no communism or capitalism in the daughters. Small economic activities Agriculture, large and medium economic activities should be conducted by private hands on the model of cooperatives and industries and industries of national importance should be conducted by the State and National Governments.
10.
To develop the opportunity to develop spiritual morality in man.
Spirituality, not economics, is the lifeblood of man. Therefore, the foundation of an ideal society depends on the spiritual and moral citizen. So get the opportunity to increase it.
12
A unified and indivisible human society shall be the basis of the nation
Caste discrimination, communalism, regionalism and caste cannot be the basis of any society. Therefore, the nation should build an integral and indivisible human society based on new humanism.
13.
The spirit of world brotherhood is the tradition of a proud nation
World brotherhood is the identity of today's glorious nation. Hence there must be a policy in the glorious Constitution.
0 Comments: