समाज आंदोलन ( SAMA'J MOVEMENT)

           श्रोता एवं लेखनकर्ता               
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🌻    [श्री] आनन्द किरण "देव"    🌻
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समाज आंदोलन की यात्रा में निकलते हैं। विश्व का प्रत्येक समाज अपने पैरों पर खड़ा हो जाए, यही समाज आंदोलन की यात्रा का उद्देश्य है। अतः समाज आंदोलन को खंड में नहीं अखंड में देखकर चलना होता है। कोई भी राजनैतिक मनसा समाज आंदोलन के साथ न्याय नहीं कर सकती तथा समाज आंदोलन राजनीति से अछूता नहीं है। इसलिए समाज आंदोलन का रास्ता राजनीति साथ व समान्तर चलता है। समाज आंदोलन के एक पलड़े में राजनीति तथा दूसरे पलड़े में समाज होता है। जब राजनीति की महत्वाकांक्षा का पलड़ा समाज की जिम्मेदारी से भारी हो जाता है तब समाज आंदोलन लक्ष्य से भटक जाता है। इसके विपरीत समाज की जिम्मेदारी का पलड़ा राजनैतिक महत्वाकांक्षा से भारी होता है तब राजनीति समाज आंदोलन को नतमस्तक करती है। अतः समाज आंदोलन की सूक्ष्म गति को समझना आवश्यक है।

समाज आंदोलन के लिए एक राजनैतिक मंच का होना आवश्यक है लेकिन समाज आंदोलन किसी राजनैतिक पार्टी में बंद नहीं होना चाहिए क्योकि राजनैतिक पार्टियों की सीमा एक देश एवं प्रदेश में लामबंद होती है जबकि समाज आंदोलन की सीमाएं किसी देश अथवा प्रदेश की काल्पनिक सीमा रेखा से बंदी नहीं होती है। यद्यपि सभी सामाजिक आर्थिक इकाई की एक भौगोलिक सीमा होती है लेकिन यह भौगोलिक सीमाएं काल्पनिक नहीं प्राकृतिक है जिसका निर्माण व्यक्ति की महत्वाकांक्षा से समाज की आवश्यकता से बनती है। जैसे जैसे समाज की आवश्यकता विस्तृत होती जाती वैसे वैसे सामाजिक आर्थिक इकाई की सीमा बढ़ती जाती है। आज 250 लगभग सामाजिक आर्थिक इकाइयों की सीमाएँ देखी, वह अपनी प्रकृति के अनुसार कम अधिक होती रहेगी। संभवतया एक दिन सम्पूर्ण विश्व एक सामाजिक आर्थिक इकाई बन जाए। अतः समाज आंदोलन की जिम्मेदार एक ऐसे राजनैतिक संगठन को लेनी होगी जिसका स्वरूप वैश्विक हो। आज के युग कोई भी राजनैतिक पार्टी अपना वैश्विक स्वरूप नहीं रख सकती है। अतः समाज आंदोलन की जिम्मेदारी एक राजनैतिक पार्टी के पास नहीं एक राजनैतिक मंच के पास होनी चाहिए। ऐसा राजनैतिक मंच सर्व समाज समिति है। जो एक वैश्विक राजनैतिक संगठन है, जिसका उद्देश्य आत्मनिर्भर सामाजिक आर्थिक इकाई नाम समाज संगठन का निर्माण करना है। अतः सर्व समाज समिति एक साझा संगठन है जिसमें विश्व के सभी समाज संगठन का प्रतिनिधित्व होता है। इसकी साधारण सभा में 250 के लगभग जितने समाज है उतने प्रतिनिधि होते हैं। यह सर्व समाज समिति की एक महासभा होती है। जो विश्व का भविष्य निर्धारित करती है। 

सर्व समाज समिति का संगठन

1. महासभा - विश्व की सभी सामाजिक आर्थिक इकाइयों की जनसंख्या एवं क्षेत्रफल के आधार पर चुनकर आए, प्रतिनिधयों से मिलकर बनती है। इसके दो सदन होते हैं। प्रथम जनप्रतिनिधि सभा जो जनता का सीधा प्रतिनिधित्व करती है। दूसरा सदन समाज का प्रतिनिधित्व करने वाला जो समाज के वैशिष्ट्य गुणधर्म तथा समाज धर्म का प्रतिनिधित्व करता है। इस प्रकार समाज आंदोलन वैश्विक जनमानस एवं समाज इकाई के महत्व को रेखांकित करते हुए, समाज आंदोलन को गति प्रदान करता है। 

2. सामाजिक सुरक्षा पर्षद - इसका कार्य विश्व के सभी सामाजिक आर्थिक इकाइयों को सुरक्षा एवं न्याय देना है। जनसंख्या अथवा क्षेत्रफल में बड़ी सामाजिक आर्थिक इकाई छोटी इकाइयों के वैशिष्ट्य को निगल न ले अथवा नजर अंदाज नहीं करें। इसलिए सुरक्षा का गर्डर मजबूत होना आवश्यक है। यद्यपि इसका संगठन महासभा द्वारा ही होना सुनिश्चित है लेकिन इसमें सलेक्ट्रो इलेक्ट्रो ध्यान रखना आवश्यक है। सामाजिक सुरक्षा पर्षद का सदस्य के इस आधार पर नहीं होगा कि कोई समाज जनसंख्या एवं क्षेत्रफल दृष्टि से बड़ा है अथवा आर्थिक संसाधन की ताकत अधिक है। इसके सलेक्शन का एक आधार होगा, यह प्रतिनिधि वैश्विक समाज आंदोलन को किस प्रकार जोड़ कर रख सकता है तथा उसे किस प्रकार आगे ले जाने का सामर्थ्य है। 

3. सामाजिक एवं आर्थिक न्याय पर्षद - समाज आंदोलन की तीसरी ताकत सामाजिक आर्थिक न्याय पर्षद है। जो इस बात का सुनिश्चय करना है कि प्रत्येक समाज इकाई अपने आत्मनिर्भर स्वरूप को यथावत बनाया रख सके तथा युग की आवश्यकता के अनुसार अपना आकार सुनिश्चित कर सकें। इसका यह भी कर्तव्य है कि समाज के प्रत्येक नागरिक के जीवन मूल्य एवं समाज मूल्य को कोई भी प्रकार की ताकत अपना चारा नहीं बना ले। इसका संगठन भी महासभा द्वारा किया जाता है लेकिन इसके सदस्यों के चयन में उच्च नैतिक मान एवं न्याय करने की क्षमता का होना आवश्यक है। 

4. वित्तीय पर्षद - इसका उद्देश्य है। समाज के अधिकतम कल्याण को सुनिश्चित करना तथा व्यक्ति की न्यूनतम आवश्यक कोर्ट पूर्ण करना है। यद्यपि समाज इकाई के संसाधनों का अधिकतम उपयोग कर समाज के कल्याण एवं व्यक्ति की न्यूनतम आवश्यक को सुनिश्चित किया जाना है तथापि यदि किसी समाज के संसाधनों से यह न्याय सुनिश्चित होना संभव नहीं हो तो वैश्विक इकाई अपने सार्वजनिक संसाधनों से इसे पूर्ण करने के लिए इसका होना आवश्यक है। 

5. सदविप्र पर्षद - समाज आंदोलन की मुख्य जिम्मेदारी जिसके कंधों पर है। उसका नाम सदविप्र पर्षद है। यह समाज आंदोलन एवं सर्व समाज समिति का नियंत्रण करता है। यही से सम्पूर्ण व्यवस्था का प्रशासन भी होता है। इसलिए इस पर्षद की ही समाज आंदोलन की पहली एवं अंतिम जिम्मेदारी है। अतः इनके सदस्यों का चुनाव एक विशेष तकनीक होना आवश्यक है। जो सामाजिक आर्थिक इकाई के संगठन एवं जनता जनता का सही प्रतिनिधि कर सके इसलिए महासभा के अतिरिक्त प्रत्येक समाज इकाई की साधारण सभा के सदस्य एवं जिम्मेदारी नागरिकों के संयुक्त वोट से इसका संगठन तैयार होता है। 
सर्व समाज समिति के संगठन के बाद हम पुनः समाज आंदोलन की ओर चलते हैं। जैसा कि हमने देखा कि राजनैतिक दलगत क्षुद्र स्वरूप से पृथक एक वैश्विक राजनैतिक मंच सर्व समाज इकाई है। यह समिति विश्व को मजबूत एवं स्थायी व्यवस्था देने के लिए वचनबद्ध है इसलिए जबतक विश्व के राजनैतिक इकाई का गठन नहीं होता तब तक प्रत्येक देश की राजनैतिक व्यवस्था का आदर करते हुए एक आध्यात्मिक नैतिकवान, शिक्षित एवं प्रशिक्षित, उच्च आदर्श के धारक प्रतिनिधि को स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतारेगी तथा आवश्यकता पड़ने पर इनसे उस देश अथवा प्रदेश की सरकार भी बनाएंगी। अतः सर्व समाज समिति दलगत राजनीति से परे एक राजनैतिक संगठन है। जो किसी राजनैतिक पार्टी के रुप में नहीं राजनैतिक संगठन के रूप में मान्यता प्राप्त होता है। यदि किसी देश में यह व्यवस्था नहीं है तो यह अपंजीकृत संस्था के रूप में काम करेंगी। 

सर्व समाज समिति का कार्य सामाजिक आर्थिक इकाई का संगठन करना तथा समाज आंदोलन के रसद उपलब्ध करना है इसलिए सामाजिक आर्थिक इकाई का मजबूत करना भी इसका दायित्व है। इन्हें सभी ओर से सुरक्षा प्रदान करना भी सर्व समाज समिति का कर्तव्य है। 

सर्व समाज समिति एक समाज आंदोलन के लेकर आई है इसलिए समाज आंदोलन की मूल थीम प्रउत दर्शन को स्थापित करने का संकल्प पत्र पर अपने हस्ताक्षर करके चलती है। 

चलो समाज आंदोलन को मजबूत बनाते तथा प्रउत को लाते हैं। आएगा प्रउत लाएग एक अखंड अविभाज्य आनन्द मार्ग परिवार संसार। यही है। AMPS का उद्देश्य। 
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