महाशिवरात्रि ( Mahashivratri)

                                           

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हस्ताक्षर [श्री] आनन्द किरण "देव"
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आज सनातन परंपरा महाशिवरात्रि का पर्व मना रहा है। इसलिए आज हम महाशिवरात्रि के संदर्भ में अध्ययन करने का विषय मिला है। 

महाशिवरात्रि शब्द में महा, शिव एवं रात्रि तीन स्वतंत्र शब्द मिलते हैं। यहाँ कोई संधि नहीं, समास नहीं, उपसर्ग व‌ प्रत्यय नहीं है। इसलिए स्वतंत्र शब्दों के जोड़ से बने अपरिभाषित शब्द को समझने की चेष्टा करते हैं। 

महा‌ शब्द का अर्थ ग्रेट अथवा सबसे बड़ा है। इससे महान शब्द का भी निर्माण होता है। शिव के आगे महा विशेषण की आवश्यकता नहीं है। फिर भी लगाने अर्थ मात्र व्यक्ति की संतुष्टि है। शिव शब्द स्वयं में महान है, इसलिए दो वृहद शब्द व्याकरण गत रुप अलंकार में ले सकते हैं। शब्द को महा अलंकार शब्द विभूषित करना अयुक्तिकर अलंकार का प्रयोग है। क्योंकि शिव सभी अलंकारों से अपने पृथक रखे हुए है। अतः कह सकते हैं कि महा शब्द महाशिवरात्रि में अयुक्तिकर शब्द है। जिसके रहने का कोई महत्व नहीं है। अतः मूल शब्द शिवरात्रि है। 

शिव शब्द अपने आप में बहुत व्यापक है।जिसका अर्थ हर पैमाने की दृष्टि अमाप्य है। इस अर्थ में शिवरात्रि शब्द का अर्थ हुआ अमाप्य रात्रि अर्थात बड़ी रात्रि। इस अर्थ में 22 दिसम्बर होनी चाहिए। लेकिन सबसे बड़ी रात्रि शब्द का अर्थ है कि उसके बाद दिन का रात्रि से बड़ा होने के अर्थ में है। इस दृष्टि से 21 मार्च शिवरात्रि है। क्योंकि इसके बाद दिन रात्रि से बड़ा होता है जो 23 सितम्बर तक अपना बडप्पन कायम रखता है। फाल्गुन मास में शिवरात्रि का आना कही  न कहीं इस गणित के नजदीक है। लेकिन यह महाशिवरात्रि नामक उत्सव के साथ न्याय करने वाला तथ्य नहीं हुआ। अतः महाशिवरात्रि पर और भी अधिक अनुसंधान की आवश्यकता है। पहले ही प्रमाणित हो गया है कि शिव के आगे महा शब्द एक अयुक्तिकर शब्दावली है। अतः शिवरात्रि को समझने को निकलते हैं। 

शिव+रात्रि इति शिव रात्रि। इसमें शिव तथा रात्रि में समास देखकर महत्व जाने की चेष्टा करते हैं। सबसे पहले
द्वंद्व समास में रखकर समझते हैं। इसमें शिव तथा रात्रि दोनों शब्दों को प्रधान मानते हैं तथा शिव-रात्रि शब्द का निर्माण करते हैं। इसके अर्थ में शिव की रात्रि नहीं है। शिव तथा रात्रि है। शिव कल्याणकारी तथा रात्रि का शांति अर्थात कल्याणकारी शांति शिवरात्रि शब्द का अर्थ हुआ। जहाँ कल्याण एवं शांति दोनों ही शब्द प्रधान है। अब अव्ययीभाव समास में रखते हैं। शिव की रात्रि शब्द बनता है। जिसमें शिव को एक अव्ययव के रूप में रखना होता है तथा रात्रि को संज्ञा के रूप में। इस अर्थ शिवरात्रि शब्द का अर्थ है, वह रात्रि जिसका संबंध शिव से है। जहाँ शिव प्रधान है तथा रात्रि गौण है। जहाँ रात्रि के होने होने का अधिक महत्व नहीं है। शिव के होने का अधिक महत्व है। अर्थात शिव के लिए रात्रि है। रात्रि के लिए शिव नहीं। अर्थात शिवरात्रि शब्द का अर्थ हुआ - वह रात्रि जिसमें शिव का गुणगान किया जाता है। शिव का माने कल्याण, प्रगति तथा आनन्द है। आनन्द पाने में खो जाना स्वयं महत्व शून्य बन जाना रात्रि शब्द की ओर इंगित करता है। शिव में विलीन होकर स्वयं शून्य बनना शिवरात्रि शब्द का अर्थ है। शिवरात्रि में कर्मधारय समास को रखकर रात्रि शब्द को प्रधान मानकर शिवरात्रि शब्द का अध्ययन करते हैं। यहाँ रात्रि शब्द का अज्ञान, अंधकार तथा बुराई है। शिव को उसपर रखने से यह सब मिट जाते हैं। इसलिए शिवरात्रि शब्द का दलदल से मुक्ति दिलाना है। रात्रि, विनाश, नकारात्मक को हटाने वाले शिव है। शिव रुपी रात्रि इति शिवरात्रि शब्द हुआ। वह रात्रि जो शिव स्वरुपी है। इस प्रकार शिवरात्रि शब्द को समझने की कोशिश की गई है। 

शिवरात्रि में शिव में रात्रि शब्द का रहना सृष्टि का शिव शब्द से संबंधित होना बताया गया है। जगतपिता, विश्वपिता, जगतगुरु, विश्वगुरु, जगन्नाथ इत्यादि शब्द के रूप में शिव को चित्रित करने है। रात्रि माया है, शिव मायाधिपति है। शिवरात्रि इसको बताने का प्रतीक है। अतः हम कह सकते हैं कि परमशिव पुरुषोत्तम: विश्वस्य केन्द्रम् है। 

शिवरात्रि एक मान्यता का पर्व है। माना जाता है कि फाल्गुन त्रयोदशी को शिव ने विषपान किया था। लेकिन शिव वह सत्ता है, जिसके रहने के युग में काल का जन्म नहीं हुआ था। पंचाग बनना तो दूर उस युग में तिथि गणना का सूत्र भी नहीं बना था। अतः शिवरात्रि सनातन मान्यता का पर्व है, उनकी आस्था का सम्मान है। लेकिन आनन्दोत्सव में इसका स्थान नहीं है। आनन्दोत्सव सभी प्रकार की रुढ़ मान्यता से उपर है। जहाँ कार्यकारण तत्व नहीं पहूँच जाता है, वहाँ आनन्दोत्सव है। उसका सामाजिक अनुष्ठान किया जाता है, उसे आनन्दोत्सव में रखा जा सकता है। लेकिन जिसका सामाजिक अनुष्ठान से मतलब नहीं वह आनन्दोत्सव में शोभयमान कैसे होता है। यह मात्र मत मतान्तर की मान्यता का द्योतक है।
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