कल डोसिपक, हपं।
गकु अब्रभो अंमनामि।।१।।
भुबं अबो, बबुंमा छ।
मा मेहा कका गु।। २।।
विस कों कको तु।
उको ते आंरा मत।।३।।
बगि सिमु भुसि।
लिशेरा नेगुत गोमथा।। ४।।
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भावार्थ -
।।१।। उत्तर भारतीय समाज
।। २।। मध्य भारतीय समाज
।।३।। दक्षिण भारतीय समाज
।। ४।। भारत के पडौसी समाज
व्याख्या -
सूत्र ।।१।। - उत्तर, उत्तर पश्चिम तथा उत्तर पूर्वी भारत के समाज के नाम।
उत्तर भारत में जम्मू कश्मीर लद्दाख व हिमाचल प्रदेश है। जिसे कजहिल नाम से भी जाना जाता है तथा उत्तर पश्चिम भारत हरियाणा,चंडीगढ़, दिल्ली व पंजाब के समाज को "कल डोसिपक, हपं" नामक प्रथम सूत्र के प्रथम भाग से याद रख सकते है।
प्रथम सूत्र के प्रथम भाग का प्रथम अंश
"कल" - कश्मीर व लद्दाख के समाज
"क" - कशियारी ( अस्य कशियारी समाज)
"ल" - लद्दाख़ी समाज
प्रथम सूत्र के प्रथम भाग का द्वितीय अंश "डोसिपक" में जम्मू व हिमाचल प्रदेश के समाज रेखांकित है।
"डो" - डोगरी (असी डोगरी समाज)
"सि" - सिरमौर समाज
"प" - पहाड़ी समाज
"कि" - किन्नौरी समाज
प्रथम सूत्र के प्रथम भाग का तृतीय अंश "हपं" उत्तर पश्चिमी भारत के हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ व दिल्ली राज्य के समाज का नाम है।
"ह" - हरियाणवी समाज
"पं" - पंजाबी ( असी पंजाबी समाज)
प्रथम सूत्र के द्वितीय भाग "गकु अब्रभो अंमनामि" में उत्तर पूर्वी भारत के उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार एवं झारखंड के समाज के नाम है।
गकु - प्रथम सूत्र के द्वितीय भाग का प्रथम अंश उत्तराखण्ड के समाज
"ग" - गढ़वाल समाज
"कु" - कुमाऊँ समाज
अब्रभो - प्रथम सूत्र के द्वितीय भाग का द्वितीय अंश में उत्तर प्रदेश के समाज है।
"अ" - अवधी समाज
"ब्र" - ब्रज समाज
भो - भोजपुरी समाज ( प्रगतिशील भोजपुरी समाज)
अंमनामि - बिहार व झारखंड का समाज है।
"अ़ं" - अंगिका समाज
"म" - मगही समाज ( प्रगतिशील मगही समाज)
"ना" - नागपुरी अथवा नागपुरिया समाज
"मि" - मिथिला समाज अथवा मिथला समाज
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सूत्र।। २।। - में क्रमशः पूर्वी भारत मध्य भारत एवं पश्चिमी भारत के समाज के नाम है।
द्वितीय सूत्र का प्रथम भाग "भुबं अबो, बबुंमा छ।" में पूर्वी भारत पश्चिमी बंगाल, सिक्किम व सप्त बहिन राज्यों के समाज तथा मध्य भारत के समाजों के नाम है।
भुबं - द्वितीय सूत्र का प्रथम भाग का प्रथम अंश सिक्किम व पश्चिमी बंगाल के समाज
"भू" - भूटिया समाज जिसे लिप्सा व सिक्कमेस भी कहते है।
"बं" - बंगाल ( अमरा बंगाली)
*अबो" - द्वितीय सूत्र का प्रथम भाग का द्वितीय अंश पूर्वोत्तर भारत के समाज के नाम
"अ" - असम उन्नयन समाज अथवा असमिया समाज के
"बो" - बोडो समाज
द्वितीय सूत्र का प्रथम भाग का तृतीय अंश "बबुंमा छ" मध्य भारत के मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ राज्य के समाजों के नाम
"ब" - बघेलखंड समाज
"बुं" - बुंदेलखंड समाज
"मा" - मालवा समाज
"छ" - छत्तीसगढ़ समाज
"मा मेहा कका गु" - द्वितीय सूत्र का द्वितीय भाग में पश्चिमी भारत के राजस्थान, गुजरात व दमन द्वीव - दादरा नागर हवेली के समाजों के नाम है।
"मा मेहा" - द्वितीय सूत्र का द्वितीय भाग का प्रथम अंश राजस्थान के समाज के नाम है।
"मा" - मारवाड़ी समाज
"मे" - मेवाड़ी समु
"हा" - हाडौती समाज
"कका गु" - गुजरात व दमन द्वीव - दादरा नागर हवेली के समाज
"क" - कच्छी समाज
"का" - काठियावाड़ी समाज
"गु" - गुज्जर समाज
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सुत्र ।।३।। में - दक्षिण पश्चिम, दक्षिण पूर्व व दक्षिण भारत के समाज के नाम है।
"विस कों कको तु" - तृतीय सूत्र का प्रथम भाग दक्षिण पश्चिम भारत के महाराष्ट्र गोवा व कर्नाटक राज्य के समाज
"विस को" - तृतीय सूत्र का प्रथम भाग का प्रथम अंश में महाराष्ट्र व गोवा के समाज
"वि" - विदर्भ समाज
"स" - सहयाद्रि समाज
"कों" - कोंकणी समाज
"कको तु" - तृतीय सूत्र का प्रथम भाग का द्वितीय अंश में कर्नाटक के समाज
"क" - कन्नड़ समाज
"को" - कोडागु समाज
"तु" - तुलु समाज
"उको ते आंरा मत" - तृतीय सूत्र का द्वितीय भाग में दक्षिण पूर्वी भारत व दक्षिण भारत के उडिसा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश केरल, तमिलनाडु, लक्षद्वीप समूह व पांडेचेरी के समाज है।
"उको" - तृतीय सूत्र का द्वितीय भाग का प्रथम अंश में उडिसा के समाज
"उ" - उत्कल समाज
"को" - कोशल समाज
"ते आंरा" - तृतीय सूत्र का द्वितीय भाग का द्वितीय अंश में तेलंगाना व आंध्र प्रदेश के समाज।
"ते" - तेलंगाना
"आं" - आंध्रा/ सिर्कारा समाज
"रा" - रायलसीमा समाज
"मत" - तृतीय सूत्र का द्वितीय भाग का तृतीय अंश में केरल, लक्षद्वीप समूह, पांडेचेरी व तमिलनाडु के समाज।
"म" - मलयाली अर्थात नव्य मलयाली समाज
"त" - तमिल समाज
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सूत्र ।। ४।। की व्याख्या
"बगि सिमु भुसि" - पाक अधिकृत कश्मीर, पाकिस्तानी पंजाब व भूटान श्री लंका के समाज
"ब" - बल्तिस्तान समाज
"गि" गिलगित समाज
"सि" - सिंध समाज
"मु" - मुल्तानी समाज/ सरायकी समाज
"भु" - भुटानी समाज
"सि" - सिहली समाज
"लिशेरा नेगुत गोमथा" नेपाल के समाज
"लि" - लिम्बु समाज
"शे" - शेरपा समाज
"रा" - राय/किरत/किरंत समाज
"ने" - नेवारी समाज
"गु" - गुरंग समाज
"त" तमांग समाज
"गो" - गोरखाली समाज
"म" - मगर समाज
"था" - थारु समाज
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