"चार जिले किसी जमाने चारों रियासतें थी"
हाड़ौती राजस्थान का दक्षिण पूर्वी का क्षेत्र है पूर्व में मालवा पठार, पश्चिम में अरावली पर्वतमाला और पश्चिम में मारवाड़ पठार, मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है। प्रमुख नदी चंबल नदी है, जिसकी सहायक नदियाँ कालीसिंध, पार्वती नदी, परवन नदी और चापी नदी हैं। मिट्टी जलोढ़ है।
इस क्षेत्र का नाम तृप्त हड़ राजपूतों पर पड़ गया है जो विशाल चौहान राजपूतों के वंश की शाखा है। हड़ इस क्षेत्र में 12वीं शताब्दी में आकर बस गए थे और क्षेत्र पर कई सदियों तक अपना वर्चस्व बनाए रखे थे। हड़ राव देव ने बूँदी पर 1241 में और कोटा पर 1264 में क़बज़ा जमाया। एक समय पर हड़ का संयुक्त राज्य वर्तमान ज़िलों बाराँ, बूँदी, कोटा और झालावड़ तक फैला हुआ था।
हाडौती समाज की संरचना - हाडौती समाज वर्तमान में राजस्थान का कोटा संभाग है। इसमें बूँदी, कोटा, बाराँ व झालावाड़ जिलों को लिया गया है।
*1.बूँदी भुक्ति* - बूंदी जिला राजस्थान के ऐतिहासिक जिलों में से एक है, बूंदी जिले का मुख्यालय बूंदी शहर ही है, या जिला खेती, कपडा और पर्यटन के लिए प्रसिद्द है, यहाँ पर तारागढ़ का किला सबसे प्रसिद्द ऐतिहासिक ईमारत है।बूँदी को "परिंदों का स्वर्ग" कहा जाता है। छोटीकाशी के नाम से प्रसिद्ध बूंदी जिले में प्राकृतिक सौंदर्य है। यह अपनी संस्कृति, लोक परंपराएं और ऐतिहासिक धरोहर व स्थानीय पक्षियों की पसंदीदा सैरगाह के रूप में प्रसिद्ध रहा है। एक तथ्य के अनुसार बूँदी की स्थापना राव देवा हाड़ा ने की थी। बूंदा नाळ के नाम पर इसका नाम बून्दी रखा गया। अन्य तथ्य के बूँदी की स्थापना बूंदा मीणा ने की थी।
*प्रशासनिक स्वरुप* - बूंदी जिले में ५ तहसीलें है, इन तहसीलों के नाम 1. बूंदी 2. हिंडोली 3. इंद्रगढ़ 4. केशोरायपाटन और 5. नैनवा है, इन ५ तहसीलों में केशोरायपाटन सबसे छोटी और बूंदी तहसील सबसे बड़ी तहसील है।
*राजनैतिक स्वरुप* - बूंदी जिले में सिर्फ दो विधान सभा सीटें है इन विधान सभा क्षेत्रो के नाम 1. बूंदी और 2. केशोरायपाटन है, इन विधानसभा सीटों में केशोरायपाटन क्षेत्र अनुसूचित जाती के लिए सुरक्षित रखा जाता है।
*2.कोटा भुक्ति* - कोटा जिला राजस्थान के 33 जिलों में से एक है, जो की कोटा संभाग के अंतर्गत आता है, कोटा का मुख्यालय कोटा शहर में ही है, कोटा जिले के चारो तरफ ४ ऊर्जा केंद्र है, १ राजस्थान परमाणु ऊर्जा केंद्र, कोटा थर्मल पावर, अंता गैस पावर प्लांट और जवाहर सागर पावर प्लांट। कोटा शहर भारत के राजस्थान प्रदेश मे आता है। कोटा को "शिक्षण नगरी" भी कहा जाता है ,यहाँ हर साल लगभग तीन लाख देश भर से बच्चे आई आई टी, मेडिकल, इत्यादि के कोचिंग के लिये आते है।यह चम्बल नदी के किनारे बसा हुआ है। कोटा पहले कोटिया भील के नियंत्रण में था जिसे बूंदी के चौहान वंश के संस्थापक देवा के पौत्र जैत्रसिंह ने मारकर अपने अधिकार में कर लिया। कोटिया भील के कारण इसका नाम कोटा पड़ा। कोटा पहले बूंदी राज्य का भाग हुआ करता था किन्तु १७वीं शताब्दी में यह अलग राज्य बन गया। यहाँ हाड़ा चौहान का शासन था। शाहजहाँ के समय 1631ई. में बॅूदी नेरश राव रतनसिंह के पुत्र माधोसिंह को कोटा का पृथक राज्य देकर उसे बूंदी से स्वतंत्र कर दिया। तभी से कोटा स्वतंत्र राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। माधोसिंह के बाद उसका पुत्र यहाॅ का शासक बना जो औरंगजेब के विरूद्ध धरमत के उत्तराधिकार युद्ध में मारा गया।
*प्रशासनिक स्वरुप* - कोटा जिले में 5 तहसीलें है, इन 5 तहसीलों के नाम 1. दीगोद 2. लाडपुरा 3. पीपल्दा 4. रामगंज मंडी और 5. सांगोद है, ग्रामो की संख्या के आधार पर सांगोद तहसील सबसे बड़ी तहसील है और लाडपुरा तहसील सबसे छोटी तहसील है।
*राजनैतिक स्वरुप* - कोटा जिले में ५ विधान सभा क्षेत्र है, इन विधानसभा सीटों के नाम 1. संगोड 2. कोटा उत्तर 3. कोटा दक्षिण 4. लाडपुरा 5. रामगंज मंडी।
*3.बाराँ भुक्ति* - सन् 1948 में संयुक्त राजस्थान के निर्माण के समय भी बाराँ एक जिला था। 31 मार्च 1949 को राजस्थान का पुनर्निर्माण हुआ और बाराँ जिला मुख्यालय को कोटा जिले का उपखण्ड मुख्यालय बनाया गया। 10 अप्रैल 1991 को पूर्व कोटा जिले से बाराँ जिले का निर्माण किया गया। बारां को प्राचीन काल में "वराह नगरी" के नाम से जाना जाता था। बारां चौदहवी व पन्द्रहवीं शताब्दी में सोलंकी राजपुतों के अधीन था। उस समय इसके अन्तर्गत १२ गाँव आते थे, इसलिए यह नगर बारां कहलाया।
*प्रशासनिक स्वरुप* - जिले में आठ तहसीलों - अंता, बारां, मांगरोल, अटरु, किशनगंज, शाहाबाद छबड़ा एवं छीपाबड़ौद में विभाजित है।
*राजनैतिक स्वरुप* - बारन जिले में 3 विधान सभा क्षेत्र है - किशनगंज, बाराँ और छाबरा विधान सभा सीट है।
*4. झालावाड़ भुक्ति* - झालावाड जिला, राजस्थान के 33 जिलों में से एक है और ये कोटा मण्डल में आता है, झालावाड जिले का मुख्यालय झालावाड नगर में ही है, इस जिले का नाम झाला राजपूतो के कारण पड़ा था और ये 1947 में कोटा जिले से कुछ तहसीलों को निकल कर बनाया गया था। काली सिन्ध नदी ज़िले की मुख्य नदी है। झालावाड़ की 1791 ई. में कोटा के फौजदार झाला जालिम सिंह ने की थी जबकि झालावाड़ की स्थापना 1838 ई. में झाला मदन सिंह ने की थी, ब्रिटिशकाल में स्थापित की गई राजपुताना की एक मात्र रियासत थी। इसका पुराना नाम बृजनगर भी था।
*प्रशासनिक स्वरुप* - झालावाड़ जिले में ७ तहसीलें है, इन ७ तहसीलों के नाम 1. अकलेरा 2. गंगधार 3. झालरापाटन 4. खानपुर 5. मनोहर थाना 6. पचपहाड़ और 7. पिरवा है, इन ७ तहसीलों में ग्रामो की संख्या के आधार पर झालरापाटन तहसील है और पचपहाड़ तहसील सबसे छोटी तहसील है।
*राजनैतिक स्वरुप* - झालावाड़ जिले में 3 विधान सभा क्षेत्र है इन विधानसभा सीटों के नाम - झालरापाटन, खानपुर व मनोहर थाना है।
हाड़ौती शब्द ‘हाड़ा’ से बना है। हाड़ा शब्द की व्युत्पत्ति के सम्बन्ध में विद्वानों में मतभेद रहा है। अभी तक इस सम्बन्ध में कोई सन्तोषप्रद मत प्रतिपन्न नहीं हो पाया है। अनेक किंवदन्तियाँ इस सम्बन्ध में प्रचलित हैं, परन्तु दो को अधिक आश्रय मिला है। उनमें से एक ‘‘अस्थि’’ शब्द से सम्बन्ध रखती है और दूसरी ‘‘हिडि’’ धातु से सम्बन्धित है। पति को अपना सिर काटकर निशानी के रुप सौपने वाली हाड़ी रानी ही थी। चंबल नदी इस क्षेत्र की जीवन रेखा। वैसे चंबल बिहड़ो के लिए देश भर में कुख्यात रहा है।
विश्लेषक - श्री आनन्द किरण "देव"
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