"भारतवर्ष के इतिहास के बिना विश्व का इतिहास कुछ नहीं है, राजपुताना के इतिहास के बिना भारत का इतिहास कुछ नहीं है तथा मेवाड़ के इतिहास के बिना राजपुताना का इतिहास कुछ नहीं है। विश्व में मेवाड़ के इतिहास की पुनरावर्ती होगी" - श्री प्रभात रंजन सरकार
मेवाड़ के ऐतिहासिक परंपरा एवं मेवाड़ी सभ्यता एवं संस्कृति का प्रतिक मेवाड़ी समाज एक सशक्त एवं मजबूत सांस्कृतिक एवं सामाजिक आर्थिक इकाई है। यहाँ की भाषा मेवाड़ी डिगल साहित्य की अनुठी परंपरा की साक्ष्य है।
*मेवाड़ी समाज की संरचना*
इस समाज को दो ऐतिहासिक क्षेत्र में बांटकर अध्ययन किया गया है। इस समाज में उदयपुर संभाग के 6 तथा अजमेर संभाग का 1 जिला है।
*A. प्राचीन मेवाड़ रियासत क्षेत्र* - राजपुताना की मेवाड़ रियासत का क्षेत्र आज मेवाड़ी समाज का अंग है।
*1.भीलवाड़ा भुक्ति* - राजस्थान के अजमेर संभाग का एक जिला भीलवाड़ा स्वतंत्रता से पूर्व मेवाड़ रियासत का अंग था। यह मेवाड़ी सभ्यता एवं संस्कृति से ओतप्रोत है। भीलवाड़ा जिले का मुख्यालय भीलवाड़ा में है।
*प्रशासनिक स्वरुप* - भीलवाड़ा जिले में 12 तहसीलें है, इन 12 तहसीलों के नाम इस प्रकार से है 1. आसींद 2. भनेर 3. बिजोलिया 4. भीलवाड़ा 5. हरदा 6. जहाजपुर 7. कोटरी 8. मंडल 9. मंडलगढ़ 10. रायपुर 11. सहारा और 12. शाहपुरा, इन १२ तहसीलों में हरदा तहसील सबसे छोटी और जहाजपुर तहसील सबसे बड़ी तहसील है।
*राजनैतिक स्वरुप* - भीलवाड़ा जिले में ६ विधानसभा क्षेत्र है, इन छह विधान सभा सीटों के नाम 1. मंडल, 2. सहारा, 3. भीलवाड़ा, 4. शाहपुरा (SC), 5. जहाजपुर, 6. मंडलगढ़। भीलवाड़ा एक लोकसभा क्षेत्र भी है।
*2. राजसमन्द भुक्ति* - राजस्थान के उदयपुर संभाग का राजसमन्द जिला 1991 में उदयपुर से अलग कर बनाया गया है, इसका मुख्यालय राजनगर में है।
*प्रशासनिक स्वरुप* -राजसमन्द जिले में 7 तहसीलें है, इन 7 तहसीलों के नाम 1 आमेट 2 भिम 3 देवगढ़ 4 कुम्भलगढ़ 5 नाथद्वारा रैलमगरा और 7 राजसमन्द, ग्रामो की संख्या के आधार पर रेलमगरा तहसील सबसे छोटी तहसील है और नाथद्वारा तहसील सबसे बड़ी तहसील है।
*राजनैतिक स्वरुप* - राजसमन्द जिले में 3 विधान सभा क्षेत्र है, इन तीन विधानसभा सीटों के नाम 1. कुम्भलगढ़ 2. राजसमन्द 3. नाथद्वारा है। राजसमंद लोकसभा क्षेत्र है।
*3. उदयपुर भुक्ति* - प्राचीन मेवाड़ रियासत की राजधानी उदयपुर जिला के साथ संभाग मुख्यालय है।
*प्रशासनिक स्वरुप* -उदयपुर में 11तहसीलें है, इन 11 तहसीलों के नाम 1. गिरवा 2. गोगुन्दा 3. झाड़ोल 4. खेरवार 5. कोटरा 6. लसाडिया 7. मावली 8. ऋषभदेव 9. सलूम्बर 10. सारदा और 11. वल्लभनगर है। उदयपुर की इन 11तहसीलों को हम ग्रामो की संख्या के आधार पर बड़ा और छोटा मान सकते है, जैसे ग्रामो की संख्या के आधार पर गिरवा तहसील सबसे बड़ी तहसील है और लसाडिया तहसील सबसे छोटी तहसील है।
*राजनैतिक स्वरुप* - उदयपुर जिले में 7 विधान सभा सीटें है, इन 7 विधानसभा क्षेत्रो के नाम 1. झड़ोल (एसटी) 2. खेरवाड़ा (एसटी) 3. उदयपुर ग्रामीण (एसटी) 4. उदयपुर 5. मावली 6. वल्लभनगर 7. सैल्म्बर (एसटी)। उदयपुर लोकसभा क्षेत्र है।
*4. चितौड़गढ़ भुक्ति* - विजय स्तम्भ एवं विशाल दुर्ग के कारण प्रसिद्ध चितौड़गढ़ जिला राजस्थान के उदयपुर संभाग का एक महत्वपूर्ण जिला है। आते हैं।
*प्रशासनिक स्वरुप* - जिले में चितौड़गढ़, निम्बाहेरा, शुरुआती, बरिसदरी, कपसान, भोपालसगर, रावतभाटा, गंगर, रश्मि, डूंगला व भदोसर नामक 11 तहसीलें है।
*राजनैतिक स्वरुप* - कपासन, बेगूं, चित्तोड़गढ़, निम्बाहेड़ा
व बड़ी सादड़ी नामक 5 विधानसभा क्षेत्र तथा चितौड़गढ़ एक लोकसभा क्षेत्र भी है।
*5. प्रतापगढ़ भुक्ति* - प्रतापगढ़ जिला राजस्थान के 33जिलों में से एक है, ये उदयपुर मण्डल के अंतर्गत आता है, जिले का मुख्यालय प्रतापगढ़ नगर में है, प्रतापगढ़ का क्षेत्र महाराणा कुंभा के राज्य में आता था, प्रतापगढ़ का पूर्वी और दक्षिण पूर्वी भाग मध्य प्रदेश की सीमाओ से जुड़ा हुआ है। इस जिले को चितौड़गढ़ जिले पृथक कर बनाया गया है।
*प्रशासनिक स्वरुप* - प्रतापगढ़ जिले में 5 तहसीलें है, इन तहसीलों के नाम अरनोद, छोटी सादड़ी, धरियावाड़, पीपल खूँट और प्रतापगढ़, ग्रामो की संख्या के आधार पर पीपल खूँट सबसे छोटी तहसील है जबकि धरियावाड़ तहसील सबसे बड़ी तहसील है।
*राजनैतिक स्वरुप* -
जिलें में 3 विधानसभा क्षेत्र है प्रतापगढ़, छोटी सादड़ी व धारियावाड़, यह जिला चितौड़गढ़ लोकसभा के साथ है।
*B. वागर क्षेत्र* - यह मेवाड़ की संस्कृति का एक उप सांस्कृतिक क्षेत्र है। इसमें 2 भुक्तियां है। माही नदी इस क्षेत्र की जीवन रेखा है।
*6. डुंगरपुर भुक्ति* -डूंगरपुर जिला राजस्थान के उदयपुर मण्डल के अंतर्गत आता है, जिले का मुख्यालय डूंगरपुर नगर है, डूंगरपुर जिले का अधिकांश भाग भीलो के द्वारा अधिकृत है।
*प्रशासनिक स्वरुप* - डूंगरपुर जिले में 4तहसीलें है , इन तहसीलों के नाम 1. आसपुर 2. डूंगरपुर 3. सागवाड़ा और 4. सीमलवाड़ा है, इन 4 तहसीलों में आसपुर तहसील सबसे छोटी है और डूंगरपुर तहसील सबसे बड़ी तहसील है।
*राजनैतिक स्वरुप* - डूंगरपुर जिले में 2 विधानसभा क्षेत्र है, इन विधान सभा सीटों के नाम 1. आसपुर २. सागवाड़ा है, यह बांसवाड़ा लोकसभा के साथ संयुक्त है।
*7.बांसवाड़ा भुक्ति* - बांसवाड़ा राजस्थान राज्य का एक जिला है, इस जिले का नाम बांसवाड़ा रखने पीछे यहाँ पर बांसो के घने जंगलो का होना बताया जाता है, बांसवाड़ा को 100 द्वीपो का शहर भी कहा जाता है, इसके बांसवाड़ा नाम के पीछे एक और कहानी है, यहाँ पर एक भील सरदार ने राज किया था जिसका नाम बंसिया था, उसी के नाम पर इस स्थान का नाम बांसवाड़ा पड़ गया था।
*प्रशासनिक स्वरुप* - बांसवाड़ा जिले में 5 तहसीलें है, जिनके नाम 1. बागीदोरा 2. बांसवाड़ा 3. गढ़ी 4. घाटोल और 5. कुशलगढ़, इन 5 तहसीलों में गढ़ी तहसील सबसे छोटी तहसील है और कुशलगढ़ तहसील सबसे बड़ी तहसील है। कर्करेखा जिले के बीच से गुजरती है।
*राजनैतिक स्वरुप* -बांसवाड़ा जिले में 5 विधान सभा क्षेत्र है, इन 5 विधानसभा सीटों के नाम घाटोल, गढ़ी, बांसवाड़ा, बागीदोरा व कुशलगढ़ है तथा बांसवाड़ा एक लोकसभा क्षेत्र है।
वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप का शौर्य, मीराबाई की भक्ति, पन्नाघाय की देशभक्ति, महाराणा कुंभा का वैभव, महाराणा सांगा की रक्तरंजित काया, मावजी का सुधारवादी प्रयास एवं भामाशाह का त्याग को स्मरण कर मेवाड़ के शिल्पकारों को इस धरा को स्वर्ग भूमि बनाने का अनुरोध करता हूँ।
विश्लेषक - श्री आनन्द किरण "देव"
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