दर्शन मनुष्य का स्वयं, परमतत्व, सृष्टि एवं धर्म से परिचय करवाता है तथा कर्म पथ चयन की निर्देशना प्रस्तुत करता है। विश्व में अनके दर्शनों का प्रादुर्भाव हुआ है, उन सभी दर्शनों ने मनुष्य को उपरोक्त बिन्दुओं से रूबरू कराने का प्रयास किया है। उनके आधार पर बने कर्म पथ की निर्देशना ने मानव समाज में अनेक मत, पंथ, सम्प्रदाय व संस्थाओं को जन्म दिया है। इन संगठनों ने अपनी-अपनी जीवन शैली का निर्माण किया है। विज्ञान एवं आधुनिक युग की मांग ने मनुष्य की एक सामान्य अथवा उभयनिष्ठ जीवन शैली प्रदान की है, यह जीवन शैली अपनी अपूर्णता के कारण सर्वमान्यता के मानदंड को प्राप्त नहीं कर पाई है। यद्यपि मनुष्य एक मननशील प्राणी है तथापि मनुष्य को जीवन शरीर, मन एवं आत्म से मिलकर बना है, जिसमें आत्मा की प्रधानता है, इसलिए एक ऐसी जीवन शैली की आवश्यकता है, जो मनुष्य सर्वांगीण विकास के प्रतिमानों को स्थापित कर सकें। चूंकि जीवन शैली का निर्माण मनुष्य जीवन एवं समाज दर्शन से होता है, इसलिए दर्शन की सर्वश्रेष्ठता ही जीवन शैली को सबसे उपयुक्त एवं सटीक बता सकती है।
वर्तमान संसार में व्याप्त सभी दर्शन अपने सर्वश्रेष्ठता का दावा कर रहे है। उनके इस दावें को जनमत का समर्थन एवं अपने प्रचारक की कार्यप्रणाली का आधार बनाया जाता है। जनमत की भावना एवं प्रचारकों जीवनवृत्त बनाए जाने वाले तथ्य है, बुद्धि चातुर्य व्यक्ति जनमन में जल्दी समा जाता है जबकि सरल व्यक्ति जनमत को सहज ही प्रभावित नहीं कर सकता है। अतः सप्रमाण कहाँ जा सकता है कि सर्वश्रेष्ठता का पैमाना व्यापक है। इस मापक में सर्वव्यापकता, सर्वांगीणता, कल्याणकारीता व प्रकृति के धर्म की अनुकूलता का समावेश होना आवश्यक है।
आनन्दमार्ग दर्शन की सर्वश्रेष्ठता
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आनन्दमार्ग दर्शन सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ दर्शन है, यह मात्र दावा नहीं यथार्थ है।
1. आनन्दमार्ग दर्शन प्रकृत दर्शन है - आनन्दमार्ग दर्शन एक अकृत्रिम दर्शन अर्थात प्राकृत दर्शन है। इस दर्शन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह किसी व्यक्ति अथवा व्यक्तित्व द्वारा बनाया नहीं गया है। यह स्व: निर्मित है, जिसे महापुरुषों द्वारा देखा गया है तथा उन्होंने इसे अपने जीवन दर्शन के द्वारा इसे विश्व को दिखाने चेष्टा की है, इसलिए शास्त्र में यह दर्शन यत्र तत्र अल्प अथवा अधिक परिणाम में उरेखित हुआ दिखाई देता है। श्री श्री आनन्दमूर्ति जी ने दर्शन को संपूर्ण रूप में उदभाषित किया है। इसलिए दर्शन की विशेषता है कि यह आदि में अंत में रहेगा तथा मध्य में भी है।
2. आनन्दमार्ग दर्शन एक जीवित दर्शन है - चूंकि आनन्दमार्ग दर्शन एक प्राकृत दर्शन है, अतः आनन्दमार्ग दर्शन के संदर्भ में कहा गया है कि आनन्दमार्ग अमर है। अतः सप्रमाण कहाँ जा सकता है कि आनन्दमार्ग दर्शन एक जीवित दर्शन है। आनन्दमार्ग दर्शन के जीवित दर्शन होने का सबसे बड़ा प्रमाण यह आदि अनादि दर्शन है।
3. आनन्दमार्ग दर्शन सार्वभौमिक दर्शन है - आनन्दमार्ग दर्शन किसी जाति, सम्प्रदाय, देश, खंड, व्यक्ति, गोष्ठी तथा काल विशेष के लिए नहीं संपूर्ण सृष्टि के जीव अजीव सबके लिए है। देश काल पात्र की सीमा रहते हुए भी इन सीमा में बंध नहीं है। इसलिए संपूर्ण सृष्टि का अणु परमाणु सहित सभी चराचर जगत यह दावा कर सकता है अथवा यह दावा करने का उनका विशेषाधिकार अथवा निजी एवं सार्वजनिक अधिकार है कि आनन्दमार्ग दर्शन उनका अपना दर्शन है।
4. आनन्दमार्ग दर्शन एक वैज्ञानिक दर्शन है - आनन्दमार्ग दर्शन किसी रूढ़ मान्यता में आबद्ध नहीं है, यह पूर्णतया वैज्ञानिक दर्शन है जिसकी पुष्टि सप्रमाण व प्रायोगिक परिक्षण द्वारा की जा सकती है।
5. आनन्दमार्ग दर्शन मनुष्य का जीवन दर्शन है - मनुष्य का जीवन आनन्दोपलब्धि के लिए है, उसकी भौतिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक अभिलाषा एवं चेष्टाएँ आनन्द की उपलब्ध के लिए है। चूंकि आनन्दमार्ग दर्शन मनुष्य का आनन्द प्राप्ति की ओर ले चलता है इसलिए सप्रमाण सिद्ध होता है कि आनन्दमार्ग दर्शन मनुष्य अपना जीवन दर्शन है। दर्शन की अन्य शब्दावली में मनुष्य को पल पल पर किन्तु परन्तु, कदाचित यदाचित, यदि माना कि इत्यादि का सहारा लेने को विवश करती है जबकि आनन्दमार्ग दर्शन में ऐसा कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है, उसे पूर्ण विश्वास के साथ कहने की आवश्यकता है कि मैं आनन्द मार्गी हूँ।
6. आनन्दमार्ग दर्शन मानव समाज का दर्शन है - एक अखंड अविभाज्य मानव समाज का दर्शन आनन्दमार्ग दर्शन है। इस दर्शन में अखिल विश्व का चिंतन निहित है इसलिए संपूर्ण मानव समाज का एक मात्र दर्शन आनन्दमार्ग दर्शन है। यहाँ न जाति का अभिमान है न ही देश का अहंकार। यहाँ मात्र सर्व भवंतु सुखिनःहै, विश्व बंधुत्व है।
7. आनन्दमार्ग दर्शन नव्य मानवतादी सोच से संयुक्त दर्शन है - आनन्दमार्ग दर्शन में भेद जनित करने वाली किसी भी दीवार का स्थान नहीं है। यह चराचर जगत के कल्याण, हित एवं सुख को लेकर चलने वाला नव्य मानवतादी दर्शन है। नव्य मानवतादी दर्शन न केवल मनुष्य का चिंतन करता अपितु यह संपूर्ण जीवन अजीव एवं संपूर्ण सृष्टि का चिंतन है। पेड़ पौधे, जीव जन्तु, पर्यावरण सहित के अस्ति भाति एवं आनन्द का चिंतन है। यह अणुजीवत( माइक्रोवाइटा) के हित का चिंतन देता है।
8. आनन्दमार्ग दर्शन एक सामाजिक दर्शन है - आनन्दमार्ग दर्शन एक सामाजिक अवधारणा को स्वीकार करता है इसलिए यह दर्शन समाज से पृथक नहीं रह सकता है। अत: प्रमाणित होता है कि आनन्दमार्ग दर्शन एक सामाजिक दर्शन है।
9. आनन्दमार्ग दर्शन संपूर्ण दर्शन है - आनन्दमार्ग दर्शन में भौतिक आधिभौतिक, दैविक आधिदैविक एवं आध्यात्मिक सभी क्षेत्रों को लेकर चलता है तथा सभी क्षेत्रों पर अपना दृष्टिकोण रखता है, यह मनुष्य, जीव जगत एवं मानव मानव समाज के किसी भी पक्ष नहीं छोड़ा है इसलिए इस दर्शन को संपूर्ण दर्शन कहा जाता है।
10. आनन्दमार्ग दर्शन में आर्थिक चिंतन का भी स्थान है -मनुष्य जीवन की सभी क्रियाकलापों भी आर्थिक क्रियाकलाप भी एक आवश्यक एवं महत्वपूर्ण क्रियाकलाप है, अत: आनन्द मार्ग दर्शन प्रगतिशील उपयोग तत्व के नाम से आर्थिक चिंतन प्रदान करता है। जो आर्थिक जगत व्यष्टि एवं समष्टि समस्या का संकल्प पेश करता है।
11. आनन्दमार्ग दर्शन एक आनन्द दर्शन है - मनुष्य स्वभाव से आनन्द मार्गी है, आनन्द प्राप्ति उसका लक्ष्य है इसलिए मनुष्य सदैव आनन्द मार्ग पर चलता है, उसके सभी क्रियाकलाप आनन्द मार्ग के लिए समर्पित है।
12. आनन्दमार्ग दर्शन हम सबका दर्शन - आनन्दमार्ग दर्शन आपका, मेरा, उनका, इनका, सबका दर्शन है। विश्व के सभी दर्शन, सिद्धांत, तथ्य एवं विचारधारा अंततोगत्वा आनन्द दर्शन में आकर विलीन हो जाती है, इसलिए आनन्द मार्ग दर्शन को हम सबका दर्शन कहा गया है। यह तथ्य आनन्दमार्ग को सर्वश्रेष्ठ दर्शन कहने के लिए पर्याप्त है।
उपसंहार में आनन्दमार्ग दर्शन का कोई विकल्प नहीं है, अतः इस संकल्प पत्र पर सबके हस्ताक्षर करना एक मौलिक अधिकार एवं नैतिक कर्तव्य है।
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श्री आनन्द किरण देव
दादा जी प्रणाम। आपने तो गागर में सागर भर दिया है।बहुत ही सरल शब्दों में आनंदमार्ग के दर्शन को समझाए हैं।
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