प्रश्न रावण का वध कब ?

प्रश्न रावण का वध कब ?

विद्वानों के उत्तर अनेक।

भक्त उत्तर एक जब राम इच्छा हुई तब।

मेरा उत्तर इस प्रकार।
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रावण वध पर विद्वानों की चर्चा सुन कर अच्छा लगा।

रावण कब मरा? प्रश्न रोचक है ।

तंत्र में कहा गया है कि लं पृथ्वी तत्व का बीज मंत्र है। लं से लंका। शिव स्वरोदय में पंच महाभूतों का वर्णन किया गया है बताया गया है पृथ्वी तत्व चतुर्थ फलक, स्वर्ण वर्ण तथा देह को आरोग्य रखने वाला है। यौगिक साहित्य एवं तंत्र ने इसका स्थान मूलाधार चक्र शरीर की अन्तिम अस्थि संस्कृत में जिसे कुल कहा गया है । वही पर कुल कुण्डलिनी शक्ति सुप्त अवस्था में है। मैंने अपने आलोच्य ग्रंथ रामायण में ब्रह्म विज्ञान में इस व्याख्या को राम कथा के संदर्भ में देखा तो शरीर का दक्षिण भाग अर्थात मेरुदंड की अन्तिम अस्थि पर स्थित मूलाधार चक्र ही रावण अर्थात रात सदृश्य वर्ण का रावण अथवा दसो इन्द्रिया जिसकी मुक्त अर्थात अनियंत्रित है उस दशानन की सोने की लंका है। जहाँ संजीवनी का ज्ञात वेद्य अर्थात आरोग्य अवस्था है।

उसके उपर जल तत्व समुद्र भव सागर जिस पर पूल का अर्थ साधना रूपी सेतु। स्वाधिषठान चक्र लैंगिक ग्रंथि के पाश्व पृष्ठ पर  है।

बालि अर्थात अग्नि तत्व मणिपुर चक्र नाभि कमल में

उसके उपर हनुमान वायु तत्त्व हृदय वक्ष स्थल अनाहत चक्र है।

उसके उपर कण्ठ में शब्द तन्मात्र वहन करने वाला आकाश तत्व शबरी की तपोभूमि विशुद्ध चक्र रुप में दिखाया गया है।

मन की अधिष्ठान भूमि आज्ञा चक्र ( त्रिकुटी) ही पंच तत्व की नियंत्रक पंचवटी है।

गुरु चक्र को चित्रकुट भरत राम मिलाप अर्थात जीव का शिव से मिलन

शरीर के सबसे उपर ब्रह्म तालु को भगवान अधिष्ठान सहस्रार चक्र को राम कथा में अयोध्या बताया गया है।

अ +योध्य जिसे युद्ध के द्वारा जय नहीं किया जा सकता है अर्थात वह स्थान जिसको साधना समर द्वारा जय नहीं किया जा सकता है।

दशरथ अर्थात दसों इन्द्रियाँ जिसकी नियंत्रण में है। तीन रानियाँ अर्थात त्रिगुणात्मक प्रकृति।

शरीर के उत्तर भाग में अयोध्या एवं दक्षिण भाग में लंका। जीव को रावण का वध कर वृत्तियाँ को वश में कर सीता अर्थात कुल कुण्डलिनी को जागृत या मुक्त करवा कर राम अर्थात परमतत्त्व से मिलन करवाने की कला नाम गुरु प्रदान की गई दीक्षा ही साधक का पुष्पक विमान हैं।
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श्री आनन्द किरण @ रामायण में ब्रह्म विज्ञान

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