आधुनिक युग के महानत्तम दार्शनिक श्री प्रभात रंजन सरकार ने प्रगतिशील विश्व की रचना करने के लिए प्रउत नामक सामाजिक अर्थनीति सिद्धांत दिया एवं इसको मूर्त रुप देने अथवा विश्व पटल पर स्थापित करने के लिए प्राउटिस्ट युनिवर्सल नामक संस्था की स्थापना की। प्राउटिस्ट युनिवर्सल पांच फैडरेशन एवं एक सशक्त समाज योजना के माध्यम से विश्व की समृद्धि के हस्ताक्षर करता है।
प्राउटिस्ट युनिवर्सल की विश्व से ग्राम स्तर तक एक सुव्यवस्थित प्रशानिक व्यवस्था है। ठीक इस प्रकार प्रत्येक फैडरेशन की भी प्रशासनिक व्यवस्था है। समाज आंदोलन अथवा समाज व्यवस्था विश्व के 247 समाज की एक व्यवस्था है। जिसे प्राउटिस्ट सर्व समाज समिति समन्वयन करती है। इससे पूर्व प्रउत को क्रिया रुप में परिणत करने के लिए बाबा ने प्राउटिस्ट फोरम आफ इंडिया प्रदान किया था। जिसे उन्होंने कालांतर में प्राउटिस्ट युनिवर्सल में रुपान्तरित कर दिया। प्रउत के माध्यम से भारतीय राजनीति में परिभाषित करने के लिए प्राउटिस्ट ब्लॉक आफ इंडिया नामक राजनैतिक दल का गठन उन्हीं की प्रेरणा से किया गया। आज प्रउत का पताका फैलाने की जिम्मेदारी एक मात्र प्राउटिस्ट युनिवर्सल की है। प्राउटिस्ट युनिवर्सल के कार्यकर्ता प्राउटिस्ट के नाम से परिचित किए जाते हैं। प्राउटिस्ट युनिवर्सल के आंदोलन को नेतृत्व प्रदान करने का दायित्व श्री श्री आनन्दमूर्ति जी ने सदविप्रों के कंधों पर डाला है। इन सदविप्रों का निर्माण आनन्द मार्ग की पाठशाला में होता है।
समाज आंदोलन प्रउत व्यवस्था को स्थापित करने का एक सशक्त माध्यम है। इस महायज्ञ की पूर्णाहुति फेडरेशनों के सहयोग के बिना संभव नहीं है। समाज आंदोलन सम्पूर्ण विश्व को 247 समाजिक आर्थिक इकाइयों को सशक्त बनाकर एक आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना करना चाहता है। यह सामाजिक आर्थिक इकाइयां न केवल सशक्त बनने यात्रा कर रही है अपितु आत्मनिर्भर का लक्ष्य लेकर कार्य करती है। यहाँ एक बात को सदैव स्मरण रखना चाहिए कि यह सामाजिक आर्थिक इकाइयां कभी भी राजनैतिक इकाई का कार्य नहीं करती है। यदि इन्हें राजनैतिक स्वरूप प्रदान करने की कोशिश की गई तो आर्थिक आजादी का आंदोलन गलत दिशा में चला जाएगा। इसलिए संस्थापक ने प्राउटिस्ट युनिवर्सल एवं उनके घटकों को राजनीति से दूर रखा था। इस आंदोलन की यात्रा में समय-समय पर राजनीति से परिचय होता है लेकिन यह कभी भी राजनैतिक स्वरूप प्रदान नहीं करता है।
सामाजिक आर्थिक आंदोलन के आंदोलनकारियों के लिए प्रउत प्रेणता के एक दिशा निर्देशन की ओर ध्यान आकृष्ट करना चाहूंगा वे बड़ी राजनैतिक इकाइयां एवं सांस्कृतिक परंपरा अक्षुण्ण रखने वाली आर्थिक इकाइयों को रेखांकित किया है। उदाहरणार्थ भारतवर्ष की ज्वलंत समस्या कश्मीर का हल श्री श्री आनन्दमूर्ति जी के विचार कोष में कजाहिल नामक राजनैतिक इकाई के गठन एवं सिरमौरी, पहाड़ी, कनौरी, डोगरी, कश्मीरी एवं लद्दाखी नामक छ: सामाजिक आर्थिक इकाइयों को सशक्त करने में बताया गया है। इस दृष्टि से सशक्त भारतवर्ष के लिए मात्र छ: - सात राजनैतिक इकाइयों की जरूरत है तथा 44 सामाजिक आर्थिक इकाइयां परम आवश्यक है। बाबा के शब्दों में "यह युग बड़े जानवरों एवं छोटे राज्यों का नहीं है।"
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विश्व के नैतिकवादियों एक हो।🙏
साभार दादा श्री आनन्द किरण
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