विष्णु में विश्व इतिहास ➡ 12




     👑 विश्व इतिहास का भविष्य - भावी संभूतियां 👑 ⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳


        भविष्य का इतिहास लिखना एक इतिहास के सामर्थ्य के बाहर होता है, लेकिन इतिहास लिखते लिखते एक इतिहास भविष्य को समझ जाता है। सभी जानते है कि इतिहास आगे बढेंगा रुका नहीं रहेगा। लेकिन भविष्यवाणी करने से घबराते है। मैं भविष्यवाणियों पर विश्वास नहीं करता हूँ, लेकिन सत्य को उरेखित करने से पीछे नहीं रहता हूँ।


        समाज चक्र को शूद्र, क्षत्रिय, विप्र एवं वैश्य युग में ही घूर्णनशील होना है। तृतीय परिक्रांति के बाद युग संधि की अवधि 1900 ईस्वी से आरंभ हो गई है। इस चतुर्थ शूद्र युग में वैश्यों शोषण के बल पर क्षात्र एवं विप्र मानसिकता विशुद्ध शूद्र में बदल रही है। इनके विप्लव अथवा क्रांति अथवा स्वाभाविक नियमानुसार  चतुर्थ क्षत्रिय युग की शुरुआत हो रही है। उसके बाद विप्र युग तथा तत्पश्चात वैश्य युग आएगा। उस युग के ऐतिहासिक विश्लेषक युग की मानसिकता के अनुसार संभूतियों नामक करेंगे।


     विश्व इतिहास के भविष्य का यह अध्याय भारतीय चिन्तन के अनुसार कल युग के नाम से जाना जाएगा। व्यापक पैमाने पर यह वैश्य युग रहेगा।


    मेरा मानना है कि भारतीय चिन्तन का सतयुग बड़े पैमाने पर शूद्र युग था, त्रेतायुग क्षत्रिय व द्वापर युग क्षत्रिय युग था। भविष्य का युग कलयुग वैश्य युग में रहेगा। इसके बाद व्यापक पैमाने पर पर एक परिक्रान्ति होगी। जिसे भविष्यवेता प्रलय कहते है। यह प्रलय सृष्टि प्रलय के रुप दिखाया जाता है। वह गलत है। किसी ग्रह की तापगत मृत्यु अथवा नये तौर तरीकों से जीवन है। वह सर्वनाश नहीं एक परिक्रान्ति होगी। जिसका इतिहास लिखने वाले जीवित व्यष्टि होंगे। यह बात में युग प्रवर्तक श्री प्रभात रंजन सरकार के विश्वास पर कह रहा हूँ।

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लेखक - श्री आनन्द किरण
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