इन दिनों में लद्दाख़ के एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक लद्दाख़ को केन्द्र सरकार द्वारा दिया गया वादा निभाने की ओर ध्यान आकृष्ट करने को लेकर अनशन पर है। कर्नल सोनम वांगचुक, एमवीसी एक भारतीय सेना के अनुभवी हैं, जिन्होंने असम रेजिमेंट और लद्दाख स्काउट्स के साथ सेवा की। कारगिल युद्ध में अपने सफल ऑपरेशन के दौरान उन्हें दुश्मन के सामने वीरता के लिए भारत के दूसरे सर्वोच्च पुरस्कार महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
वांगचुक की मांगें
(१) लद्दाख़ में लोकतंत्र की बहाली - आधुनिक युग में लोकतंत्र सभी का अधिकार है। अतः लद्दाख़ को इससे वंचित रखना न्यायसंगत नहीं है। लद्दाख़ के सामरिक महत्व को देखते हुए राजनैतिक लोकतंत्र संभव नहीं हो तो प्रउत के विचार के अनुसार दल विहीन आर्थिक लोकतंत्र लागू कर लद्दाख़वासियों के नैसर्गिक अधिकार की रक्षा की जा सकती है। ऐसा नहीं करना लद्दाख़ के साथ न्याय नहीं है।
(२) लद्दाख़ को पूर्णराज्य का दर्जा देना - भारतीय संविधान के अनुसार पूर्णराज्य का अर्थ राज्य सूची के विषयों पर राज्य को कानून बनाने एवं लागू करने का पूर्ण हक मिलना तथा समवर्ती सूची के विषयों पर अपने राज्य के लिए ऐसा कानून बना सकता है, जो केन्द्र के कानून के विपरीत नहीं हो। इसमें लद्दाख़ के लिए क्या त्रुटि है? इस पर विचार करने की आवश्यकता है। लद्दाख़ चीन, पाकिस्तान एवं आतंकियों की निगाह पर है। अतः सामरिक एवं सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह कारण लद्दाख़ के हक को छिनने के लिए पर्याप्त नहीं है। क्योंकि अनुच्छेद 356 तहत राष्ट्रपति के पास राज्यों को अनुशासित एवं नियंत्रण रखने का अधिकार सुरक्षित रह जाता है। अतः यह मांग भी स्वीकार करने के लिए उपयुक्त बहाना नहीं है। एक अन्य कारण स्थानीय पुलिस का सेना को मिलने वाला सहयोग केन्द्र सरकार के हाथ न होना होता है। इसके लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था के तहत सीमा सुरक्षा बल एवं स्थानीय सैनिक टुकड़ी भारत सरकार की ओर से गठित करनी चाहिए जो भारतीय सेना की मदद के लिए हमेशा तैयार रहे। इससे भी काम नहीं चले तो राजनैतिक दृष्टि से प्रउत के विचार `कजहिल` पर विचार किया जा सकता है। कजहिल के तहत कश्मीर, जम्मू, हिमाचल एवं लद्दाख़ को मिलाकर एक राज्य बनाना, जिससे अलगाववादियों के हाथ में बहुमत नहीं जाएगा।
(३) लद्दाख़ में छठ़ी अनुसूची लागू करना - छठी अनुसूची भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244 के अंतर्गत आती है, जो चार राज्यों असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा में स्वायत्त जिला परिषदों की स्थापना की सुविधा प्रदान करती है। जिला परिषद को स्वायत्त इकाई के रूप में दर्जा मिलता है। जिसके सांस्कृतिक, सामाजिक एवं आर्थिक मुद्दों पर जिला परिषद कानून बना सकती है। आनन्द मार्ग प्रचारक संघ की भुक्ति समिति को इससे भी सशक्त बनाकर स्थापित किया गया। एक भुक्ति प्रधान के नेतृत्व में हमारी भुक्ति सशक्त है, जो अपनी उपभुक्तियों सहायता समग्र सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक मुद्दों अपने लिए व्यवस्था स्वयं देती है। यह प्रांत, राज्य, देश एवं केन्द्रीय समिति को 1/8 वां भाग देती है बदले में उनसे कुछ नहीं लेती है। अतः जिला परिषदों को स्वायत्त देना ही आर्थिक लोकतंत्र की आधार शीला है। हमारा समाज आंदोलन इसका समर्थन करता है। एक समाज इकाई सांस्कृतिक, सामाजिक एवं आर्थिक मुद्दों पर स्वयं वित्त सृजन करता तथा स्वयं व्यवस्था देती है। हम तो उपभुक्ति अथवा ब्लॉक लेवल योजना के निर्माण एवं क्रियांवयन को बढ़ावा देते हैं। अतः हमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244(2) और 275(1) के संदर्भ में विस्तृत चर्चा करनी चाहिए तथा इस पर प्रउत का दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए।
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[श्री] आनन्द किरण "देव"
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अंग्रेजी अनुवाद पढ़े
These days, Ladakh activist Sonam Wangchuk is on a hunger strike to draw attention to the central government's promise to Ladakh. Colonel Sonam Wangchuk, MVC is an Indian Army veteran who served with the Assam Regiment and Ladakh Scouts. During her successful operation in the Kargil War, she was awarded the Mahavir Chakra, India's second highest award for bravery in the face of the enemy.
Wangchuk's demands
(1) Restoration of democracy in Ladakh - In the modern era, democracy is the right of all. Therefore, it is not fair to deprive Ladakh of it. If political democracy is not possible in view of the strategic importance of Ladakh, then according to Praut's idea, the natural rights of the people of Ladakh can be protected by implementing a party-less economic democracy. Not doing so is not fair to Ladakh.
(2) To give Ladakh the status of a full state - According to the Indian Constitution, full statehood means that the state gets the full right to make and implement laws on the subjects of the State List and on the subjects of the Concurrent List, it can make such laws for its state which are not contrary to the law of the Centre. What is wrong with Ladakh in this? There is a need to think about this. Ladakh is under the watch of China, Pakistan and terrorists. Hence, it is important from the strategic and security point of view. This reason is not enough to snatch the rights of Ladakh. Because under Article 356, the President reserves the right to discipline and control the states. Hence, this demand is also not an appropriate excuse to accept it. Another reason is that the support of the local police to the army is not in the hands of the Central Government. For this, as an alternative arrangement, the Border Security Force and the local military contingent should be formed by the Government of India, which should always be ready to help the Indian Army. If this also does not work, then from the political point of view, Praut's idea of 'Kazhil' can be considered. Under Kazhil, Kashmir, Jammu, Himachal and Ladakh will be merged to form a single state, so that the separatists will not get the majority.
(3) Implementation of the Sixth Schedule in Ladakh - The Sixth Schedule comes under Article 244 of the Indian Constitution, which provides for the establishment of autonomous district councils in four states Assam, Meghalaya, Mizoram and Tripura. The district council gets the status of an autonomous unit. The district council can make laws on cultural, social and economic issues. The Bhukti Committee of Anand Marg Pracharak Sangh was further strengthened and established. Our Bhukti is strong under the leadership of a Bhukti Pradhan, which helps its consumers and makes arrangements for overall social, economic and cultural issues on its own. It gives 1/8th of its share to the province, state, country and central committee and does not take anything from them in return. Therefore, giving autonomy to the district councils is the foundation of economic democracy. Our Samaj Andolan supports this. A Samaj unit generates finances on its own and makes arrangements on its own for cultural, social and economic issues. We encourage the creation and implementation of sub-division or block level plans. Therefore, we should have a detailed discussion in the context of Articles 244(2) and 275(1) of the Indian Constitution and develop a PRUT perspective on this.
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[Mr.] Anand Kiran "Dev"
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