नमस्कार
आज चर्चा का विषय है प्रउत के समाज आंदोलन का द्वितीय पायदान आर्थिक समाज आंदोलन अर्थात आर्थिक उत्थान। आर्थिक जगत की हलचल मनुष्य के जीवन के एक अंग को सार्वाधिक प्रभावित करती है। सभ्यता के उषाकाल से ही मनुष्य एवं उसके समाज के आर्थिक उत्थान को लेकर मंथन चल रहा है। परम पुरुष की अहैतुकी कृपा से अब जाकर प्रउत नामक आर्थिक व्यवस्था हाथ में आई है, जिसके स्थापित होते ही समाज में सर्वजन का हित एवं सुख सिद्ध हो जाएगा। प्रउत के आर्थिक समाज आंदोलन की प्रथम कड़ी में क्या करना है, यह सभी प्राउटिस्टों के लिए मंथन एवं चिंतन का विषय है।
1. प्रउत के आर्थिक समाज आंदोलन की प्रथम कड़ी में प्राउटिस्टों को मिलकर सहकारिता समितियों का निर्माण करना है।
2. इन सहकारिता समितियों को कृषि अथवा खनन उद्योग में किस प्रकार मिलकर आर्थिक उद्धार का काम किया जा सकें उसका प्रशिक्षण प्रदान करना है।
3. कृषि उद्योग का अर्थ है कृषि सहायक, कृषि उत्पादन एवं कृषि आधारित उद्योग है। अतः सहकारिता समिति के तीन कार्य हो गए, प्रथम कृषि सहायक वस्तुओं का सर्जन करना एवं उन्हें किसान तक पहुँचना, द्वितीय कृषि उत्पादन में चकबंदी कृषि के आधार पर मिलकर कार्य करना, तृतीय कृषि के उत्पाद को तैयार माल के रुप में बदल कर उपभोक्ता तक पहुँचना। ठीक इसी प्रकार खनिज जगत में भी खनन, शोधन एवं उसे वस्तु रुप देकर उपभोक्ता तक पहुँचाना। ( मास्टर यूनिट तैयार करना)
4. उपरोक्त व्यवस्था के अनुसार चलते हुए प्राउटिस्टों को शत प्रतिशत रोजगार के लक्ष्य की ओर पहुंचना है।
5. वस्तु विनिमय प्रणाली का प्रभावशाली बनाने के लक्ष्य की ओर भी प्राउटिस्टों को ध्यान रखना है तथा विनिमय कार्य सलंग्न सेवाकर्मियों सहित संपूर्ण समाज न्यूनतम आवश्यक सुनिश्चित कर विवेकपूर्ण वितरण प्रणाली में दृढ़ होना।
6. शिक्षा, चिकित्सा, सरकारी सेवाएं व्यवसायी नहीं सेवावृति है लेकिन उनकी न्यूनतम आवश्यकता तथा गुण के आदर सम्मान की व्यवस्था पर दृष्टि रखना सदविप्रों का कार्य है, इसलिए उत्पादन कर प्रणाली को अपने व्यष्टिगत एवं समष्टिगत जीवन में मानकर चलना है। इसके साथ व्यष्टि एवं समष्टि को सार्वजनिक हित में अपनी आय का 2 प्रतिशत सहयोग अथवा अंशदान करते हुए चलना चर्याचर्य का सम्मान है।
7. इस प्रकार मिलकर आर्थिक समस्या का समाधान करते हुए, हम संघच्धवम् में प्रतिष्ठित हो सकते है, जिसे समाज के अन्य जन आदर्श प्रतिमान के रुप में अंगीकार करेंगे।
8. इस व्यवस्था की शुरुआत परिजन, मित्रमंडली व मार्गी बंधु मिलकर कर सकते है।
इस प्रकार आर्थिक उत्थान का लिखा गया अध्याय प्रउत सामाजिक समाज आंदोलन की रुपरेखा तैयार करेगा।
नमस्कार
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