प्रउत की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य नीति

प्रउत की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य नीति 
      प्रउत अर्थव्यवस्था विश्व के सभी नागरिकों के अन्न, वस्त्र, आवास, शिक्षा एवं चिकित्सा की जिम्मेदारी समाज को देती है। नागरिकों को इस क्षेत्र में पूर्ण आश्वस्त किया गया है। रोटी, कपड़ा एवं मकान की आपूर्ति के प्रउत अर्थव्यवस्था क्रयशक्ति में वृद्धि की सिफारिश करती है तथा शिक्षा एवं चिकित्सा नागरिकों को निशुल्क उपलब्ध कराने का आश्वासन देती है। इस के अध्ययन से प्रउत की एक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य नीति बनकर तैयार हुई है। 


(1). प्रउत की चिकित्सा नीति में  निशुल्क चिकित्सा का प्रावधान किया गया है -  चिकित्सा का संबंध प्राणी व इंसान के जीवन  एवं मृत्यु से है। वहाँ किसी का जीवन धन व अधन से तौला जाता है तो अवश्य ही सबसे बड़ी शर्म एवं ग्लानि की बात है। आज के सभ्य समाज में ऐसा होता है। जिसे मैं सार्वजनिक शोक की उपमा देता हूँ। मैं चिकित्सा के जगत में उल्लेखनीय योगदान देने वाले चिकित्सा शास्त्रियों को नमन करता हूँ तथा उन्होंने प्राणी जगत एवं मनुष्य रोगों से दूर रखने एवं उसके निवारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके इस कार्य के लिए मैं उन्हें साधुवाद अर्पित करता हूँ। लेकिन चिकित्सा को लेकर चलने वाले गोरख धंधा एवं चिकित्सा व्यवसायिकरण  समाज व देश के कर्णधारों की निर्बुद्धिता से अधिक कुछ नहीं है। विश्व की किसी भी सरकार ने चिकित्सा के क्षेत्र में नागरिकों के सुरक्षा का जिम्मा अपने कंधों पर नहीं लिया। यह लोक कल्याणकारी सरकारों के मुहं पर तमाचा है। समाज अथवा देश अपने नागरिकों को अन्य सुविधा प्रदान करने में विलंब कर दे तो हानि अथवा क्षति नहीं होगी जबकि शिक्षा एवं चिकित्सा की सुविधा नहीं देना, समाज की बहुत बड़ी क्षति है। इसलिए प्रउत अर्थव्यवस्था निशुल्क चिकित्सा की व्यवस्था प्रदान करती है तथा चिकित्सक की सेवा को गुणीजन की उपमा देकर अतिरिक्त सम्पदा में गुण के अनुपात में देने की सिफारिश करती है। प्रउत का समाज निशुल्क चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराने हेतु सत्ता संचालकों सभी उपाय करने का आदेश देता है। 


(2) एक छत के निचे सभी चिकित्सा पद्धतियाँ उपलब्ध कराना - प्रउत के इस चिन्तन शक्ति ने विश्व में सकारात्मक वातावरणीय तंरगों का निर्माण किया है। जिसके प्रभाव से एक छत के निचे चिकित्सा तथा निशुल्क चिकित्सा की दिशा में कतिपय सरकारों ने ऊँट के मुहं जीरा तुल्य कार्य किया है। लेकिन इनके पास कोई ठोस नीति नहीं होने के कारण अपेक्षित सफलता प्राप्त नहीं हो पा रही है। प्रउत एक छत के निचे सभी पैथियों लाता है तथा रोगी को सम्पूर्ण स्वस्थ करने की जिम्मेदारी चिकित्सक पर्षद पर डालता है। वह निर्णय लेंगे कि रोगी को किस पद्धति से लाभ पहुंचाया जाए। रोगी का उचित एवं समग्र उपचार करने की चिन्ता रोगी अथवा उसके परिजनों की नहीं चिकित्सा कर्मी की है। प्रउत चिकित्सा नीति का यह क्रांतिकारी कार्य है। यह कार्य ही चिकित्सक को गुणी बनाता है। इसके अभाव में चिकित्सक आम जन से बढ़कर कुछ नहीं है। 


(3) प्रउत की स्वास्थ्य नीति -  प्रउत की स्वास्थ्य नीति व्यक्ति को रोगी बनने रोकने के लिए है। योगासन, सामान्य स्वास्थ्य नियम तथा आनन्द मार्गीय जीवन शैली के अनुसरण से व्यक्ति रोग से दूर रहेगा। यौगिक चिकित्सा के माध्यम से स्वास्थ्य एवं चिकित्सा दोनों का लाभ प्राप्त किया जाएगा। 


(4) चिकित्सक सम्मान एवं सुविधा का ध्यान रखने प्रावधान है - प्रउत व्यवस्था निशुल्क चिकित्सा के साथ चिकित्सक के प्रति समाज की जिम्मेदारी का भी जिक्र करता है। जैसा चिकित्सक का कार्य है समाज उसके अनुकूल सुविधा भी उपलब्ध कराता है तथा विशिष्ट भी बनाता है। प्रउत की मूल नीति के अनुसार युग के निम्न मान से चिकित्सक को अतिरिक्त देय होगा, जो उनके गुण के अनुपात में होगा। यहाँ गुण शब्द का अर्थ समाज के लिए उनका त्याग से है। 


(5) स्थूल से अधिक सूक्ष्म चिकित्सा पर बल -

प्रउत की चिकित्सा नीति रोगी को जहाँ तक संभव हो सके वहाँ तक सूक्ष्म चिकित्सा पद्धति के अनुसरण की सलाह देता है। उदाहरणार्थ ऐलोपैथिक का उपयोग करने से पूर्व अन्य चिकित्सा पद्धति से रोग ठीक करने की क्षमता को टटोलना चिकित्सा का धर्म है। दवाई से पूर्व यदि रोगी यौगिक एवं प्राकृतिक चिकित्सा से ठीक होने की संभावना भी अस्वीकार्य नहीं है। प्रउत चिकित्सा नीति के अनुसार जहाँ तक आयुर्वेद औषधियों से काम चले, तब तक ऐलोपैथिक ड्रग्स नहीं देना उपयुक्त है। इसी प्रकार प्राकृतिक चिकित्सा एवं यौगिक चिकित्सा से ठीक होने वाले रोगी को औषधियाँ देना उपयुक्त नहीं है।

(6) चिकित्सक की कार्य शैली पर विशेष ध्यान केंद्रित करता है -   बाबा एक चिकित्सक से थोड़े परिचित होने पर लम्बे समय तक रोग निवारक औषधियों के स्थान अल्पकाल में रोग निवारण करने वाली औषधि देने वाले चिकित्सक का उदाहरण प्रस्तुत कर चिकित्सक की कार्य शैली में सेवा भाव, कुशलता एवं पारदर्शी बनाने के बात को रेखांकित करते है। चिकित्सक का व्यवहार एवं काम काज का तरिका औषधि से अधिक महत्वपूर्ण है। इसलिए चिकित्सक में नैतिकता का समावेश करना आवश्यक है।
      प्रउत चिकित्सा नीति के उन्नत चिकित्सा व्यवस्था के निर्माण में सहायक है तथा इसके अनुसार शोध कर आगे बढ़ा जा सकता है।
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विश्लेषक - श्री आनन्द किरण

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1 टिप्पणी:

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