*केरल का राजनैतिक दृश्य एवं समाज आंदोलन*
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1. परिचय -भारत की दक्षिण-पश्चिमी सीमा पर अरब सागर और सह्याद्रि पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य एक खूबसूरत भूभाग स्थित है, जिसे केरल के नाम से जाना जाता है। यहाँ मलयालम भाषा बोली जाती है। अपनी संस्कृति और भाषा-वैशिष्ट्य के कारण पहचाने जाने वाले भारत के दक्षिण में स्थित चार राज्यों में केरल प्रमुख स्थान रखता है । यह यूनिसेफ (UNICEF) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा मान्यता प्राप्त विश्व का प्रथम शिशु सौहार्द राज्य (Baby Friendly State) है।
2. केरल एक प्रांत - स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व केरल में राजाओं की रियासतें थीं। जुलाई 1949 में तिरुवितांकूर और कोच्चिन रियासतों को जोड़कर 'तिरुकोच्चि' राज्य का गठन किया गया। उस समय मलाबार प्रदेश मद्रास राज्य (वर्तमान तमिलनाडु) का एक जिला मात्र था। नवंबर 1956 में तिरुकोच्चि के साथ मलाबार को भी जोड़ा गया और इस तरह वर्तमान केरल की स्थापना हुई। इस प्रकार 'ऐक्य केरलम' के के द्वारा इस भूभाग की जनता की दीर्घकालीन अभिलाषा पूर्ण हुई।
3. केरल शब्द का अर्थ - केरल शब्द की व्युत्पत्ति को लेकर विद्वानों में एकमत नहीं है। कहा जाता है कि "चेर - स्थल", 'कीचड़' और "अलम-प्रदेश" शब्दों के योग से चेरलम बना था, जो बाद में केरल बन गया। केरल शब्द का एक और अर्थ है : - वह भूभाग जो समुद्र से निकला हो। समुद्र और पर्वत के संगम स्थान को भी केरल कहा जाता है। प्राचीन विदेशी यायावरों ने इस स्थल को 'मलबार' नाम से भी सम्बोधित किया है। काफी लबे अरसे तक यह भूभाग चेरा राजाओं के अधीन था एवं इस कारण भी चेरलम (चेरा का राज्य) और फिर केरलम नाम पड़ा होगा।
4.इतिहास के झरोखे में केरल - केरल की संस्कृति हज़ारों साल पुरानी है। इसके इतिहास का प्रथम काल 1000 ईं. पूर्व से 300 ईस्वी तक माना जाता है। अधिकतर महाप्रस्तर युगीन स्मारिकाएँ पहाड़ी क्षेत्रों से प्राप्त हुई। अतः यह सिद्ध होता है कि केरल में अतिप्राचीन काल से मानव का वास था। केरल में आवास केन्द्रों के विकास का दूसरा चरण संगमकाल माना जाता है। यही प्राचीन तमिल साहित्य के निर्माण का काल है। संगमकाल सन् 300 ई. से 800 ई तक रहा। प्राचीन केरल को इतिहासकार तमिल भूभाग का अंग समझते थे। सुविधा की दृष्टि से केरल के इतिहास को प्राचीन, मध्यकालीन एवं आधुनिक कालीन - तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं।
१. प्राचीन केरल
२. मध्यकालीन केरल
३. आधुनिक केरल
4. केरल का भूगोल - भौगोलिक प्रकृति के आधार पर केरल को अनेक क्षेत्रों में विभक्त किया जाता है। सर्वप्रचलित विभाज्य प्रदेश हैं, पर्वतीय क्षेत्र, मध्य क्षेत्र, समुद्री क्षेत्र आदि। अधिक स्पष्टता की दृष्टि से इस प्रकार विभाजन किया गया है - पूर्वी मलनाड (Eastern Highland), अडिवारम (तराई - Foot Hill Zone), ऊँचा पहाडी क्षेत्र (Hilly Uplands), पालक्काड दर्रा, तृश्शूर-कांजगाड समतल, एरणाकुलम - तिरुवनन्तपुरम रोलिंग समतल और पश्चिमी तटीय समतल। यहाँ की भौगोलिक प्रकृति में पहाड़ और समतल दोनों का समावेश है। भौगौलिक सुन्दरता के कारण केरल को 'ईश्वर का अपना घर' (God's Own Country) कहा जाता है।
5. केरल का राजनैतिक परिदृश्य - केरल की राजनीति को कम्युनिस्ट समर्पित कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं है । केरल की राजनीति का प्रधान ध्रुव वामपंथी विचारधारा रही है। वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी व माक्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के रुप में दिखाई दी है । यद्यपि समय समय पर उसे राजनैतिक चुनौतियों का कार्य करना पड़ा है। प्रजा सोशिलिस्ट पार्टी ने 1960 में साम्यवादी गढ़ में प्रथम छेंदमारी थी। तत्पश्चात कांग्रेस व कामरेडों के बीच रस्साकशी का खेल चलता रहा है। 1979 में इंडियन यूनियन मुस्लिम लिग ने 53 दिन के लिए सत्ता का सुख भोगा है ।
*केरल में समाज आंदोलन*
*नव्या मलयाली*
*A. केरल प्रादेशिक इकाई* -
*1. कासरगोड भुक्ति*
*2. कन्नूर भुक्ति*
3. *कोड़िकोड भुक्ति (कैलीकट)*
*4. वायनाड भुक्ति*
*5. मलप्पुरम भुक्ति*
*6. पालक्काड़ भुक्ति* (पालघाट)
*7. त्रिस्सूर भुक्ति*
*8. एर्नाकुलम भुक्ति*
*9. कोट्टयम भुक्ति*
*10. इडुक्की भुक्ति*
*11. पतनमतिट्टा भुक्ति*
*12. आलाप्पुड़ा भुक्ति*
*13.कोल्लम भुक्ति*
*14. तिरुवनन्तपुरम भुक्ति*(त्रिवेन्द्रम)
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