थमने के मोड़ पर है, काल का पहिया🎡।।
पीछे मुड़ने की राह पर है, धर्मराज के पांव👣।
संकट में पड़ गया है, इंद्र का ताज 🎩।।
बीच समुद्र में पक्षी थक चुका है👌,
फिर भी पंख तो चलाने पडते है💥,
किनारा कितना भी दूर क्यों न हो फिर भी उसे रुकना नहीं होता है 🔆,
वापस मुड़ने पर भी समस्या का समाधान नहीं होता है🚫,
चलना तो होगा ही लक्ष्य को पाना जो है 🔧।
जब जीवन मृत्यु का प्रश्न हो, तब वीरगति कोई बुरी नहीं💀,
विजयश्री उसी को मिलती, जो थक कर भी रूकता नहीं ⛔।।
फिर से दौड़ेंगे, नयी उमंगों के सारे🌹,
लिख देंगे काल के कपाट पर नये नारे✍।
संकल्प को तपना तो पड़ता है🔥,
नर में इन्द्र बनकर तुम्हें ही चलना तो पड़ता है⛳।।
आशा की किरण कभी मिटती नहीं।
आनन्द किरण कभी रुकता नहीं ।।
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कविता - चलना तो होगा ही
कवि - श्री आनन्द किरण की कलम से
23 मार्च 2021 सुबह 7:09 बजे ।
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